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पाकिस्तान के साथ कश्मीेर का राग अलापने वाले एर्दोगन फिर बनेंगे तुर्किये के राष्ट्रपति; महंगाई, भूकंप में 50 हजार मौतों जैसे मुद्दों में घिरने के भी चुनाव जीता
The Fact India: पाकिस्तान के साथ कश्मीर का राग अलापने वाले रेसेप तैयप एर्दोगन एक बार फिर तुर्किये के राष्ट्रपति होंगे। 28 मई को रन-ऑफ राउंड में एर्दोगन को कुल 52.1 फीसदी वोट मिले। विपक्षी नेता कमाल केलिकदारोग्लू को 47.9 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ा। 2028 तक एर्दोगन तुर्किये के राष्ट्रपति रहेंगे। चुनाव परिणाम के बाद एर्दोगन ने इस्तानबुल में अपने घर की बालकनी से तीन लाख से ज्यादा लोगों संबोधित किया। इस दौरान एर्दोगन ने कहा कि ये पूरे तुर्किये की जीत है। भाषण के दौरान उन्होंने विपक्षी पार्टी का मजाक उड़ाते हुए कहा- बाय-बाय केलिकदारोग्लू।
तुर्किये की करेंसी डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर है। महंगाई 40 फीसदी से ज्यादा है। तुर्किये में आए जानलेवा भूकंप में 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। भूकंप के बाद 20 साल से तुर्किये की सत्ता में बैठे एर्दोगन पर सवाल खड़े किए गए थे। भूकंप के तीन महीने बाद चुनाव हुए। इसके बावजूद एर्दोगन चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं। हालांकि, इस चुनाव में एर्दोगन को विपक्षी नेता कमाल केलिकदारोग्लू से कड़ी टक्कर मिली।
तुर्किये में रविवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए दूसरी बार (रन-ऑफ राउंड) वोटिंग हुई थी। इससे पहले 14 मई को चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाया था। एर्दोगन की पार्टी एकेपी को तब 49.4 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं, तुर्किये के गांधी कहे जाने वाले कमाल केलिकदारोग्लू की पार्टी को 45.0 फीसदी वोट मिले थे। तुर्किये की सत्ता में आने के लिए किसी भी पार्टी को 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिलने चाहिए।
एर्दोगन 2003 से तुर्किये की सत्ता में हैं। 2014 तक वो देश के प्रधानमंत्री रहे थे। 2016 में तुर्किये में तख्तापलट की कोशिश हुई। इसके बाद एर्दोगन ने देश में रेफरेंडम कराकर प्रेसिडेंशियल सिस्टम लागू कराया। वो तब से देश के राष्ट्रपति हैं। इस तरह देश के मुखिया के तौर पर पिछले 20 सालों में उन्हें 11वीं बार सत्ता मिली है।