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दिल्ली यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम से हट सकता है शायर इकबाल का चैप्टर; एकेडमिक काउंसिल ने प्रस्ताव पारित किया, एबीवीपी ने किया समर्थन
The Fact India: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पाठ्यक्रम से मशहूर शायर मुहम्मद इकबाल का चैप्टर को हटाया जा सकता है। डीयू के एकेडमिक काउंसिल ने इसे लेकर प्रस्ताव पारित किया है। बीए के छठवें सेमेस्टर के सिलेबस में मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थॉट्स नाम का चैप्टर है। यूनिवर्सिटी ऑफिशियल ने बताया कि इसे हटाने के लिए यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल को जानकारी दी जाएगी। काउंसिल की बैठक 9 जून को होगी।
इकबाल का चैप्टर सिलेबस से हटाने के लिए शुक्रवार को शुरू हुई एकेडमिक काउंसिल की बैठक शनिवार दोपहर तक चली। काउंसिल के 100 सदस्यों में से सिर्फ पांच ने सिलेबस में बदलाव के प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने इसे विभाजनकारी बताया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने डीयू के एकेडमिक काउंसिल के प्रस्ताव का समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि डीयू के एकेडमिक काउंसिल ने मोहम्मद इकबाल को सिलेबस से हटाने का फैसला किया है। वे पाकिस्तान के फिलॉसोफिकल फादर और कट्टरपंथी सोच रखने वाले शख्स थे। जिन्ना को मुस्लिम लीग का नेता बनाने के पीछे इकबाल का बड़ा हाथ था। भारत के विभाजन के लिए जितने जिम्मेदार जिन्ना हैं, उतने ही इकबाल भी हैं।
अल्लामा मुहम्मद इकबाल पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि हैं। 1877 में सियालकोट में उनका जन्म हुआ था। इन्हें पाकिस्तान बनाने के आइडिया को जन्म देने के लिए भी जाना जाता है। इकबाल ने ही ‘सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा’ लिखा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीए के सिलेबस में कुल 11 चैप्टर हैं। इनमें राजा राममोहन राय, पंडिता रमाबाई, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी और भीमराव अंबेडकर जैसे शख्सियतों के विचार से जुड़े चैप्टर भी हैं। इनमें इकबाल कम्युनिटी के नाम से एक चैप्टर है, जिसे हटाने का प्रस्ताव पारित किया गया है।