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अमेरिका में राहुल ने कहा- मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी सांसदी चली जाएगी, मेरा फोन टैप हो रहा; भारत की रूस-यूक्रेन नीति की तारीफ की
The Fact India: कांग्रेस नेता राहुल गांधी छह दिन की यात्रा पर अमेरिका में हैं। यहां बिजनेसमैन और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों से रू-ब-रू हुए। एक तरफ जहां मोदी सरकार की रूस-यूक्रेन जंग पर विेदेश नीति की तारीफ की, वहीं दूसरी तरफ देश के लोकतंत्र पर सवाल उठाया। सिलिकॉन वैली में एआई क्षेत्र में स्टार्ट-अप शुरू करने वाले कई बिजनेसमैन से पेगासस स्पाईवेयर पर चर्चा की। इस दौरान राहुल ने कहा कि भारत में मेरा फोन टैप हो रहा है। इसके बाद उन्होंने अपना फोन उठाया और बोले- हैलो, मोदी जी। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स से भारत के लोकतंत्र पर सवाल उठाया। बोले- कोई भी स्वायत्त संस्था अपने मुताबिक काम नहीं कर रही है।
सिलिकॉन वैली के प्लग एंड प्ले ऑडिटोरियम में राहुल के साथ इंडियन ओवरसीज कांग्रेस चेयरमैन सैम पित्रोदा और कई कांग्रेस नेता मौजूद थे। यहां पर राहुल ने कहा कि अगर आपको देश में टेक्नोलॉजी का विस्तार करना है तो एक ऐसा सिस्टम होना चाहिए, जहां पावर किसी एक के पास नहीं बल्कि सबके पास हो। भारत में डेटा की सेफ्टी को लेकर भी नियम बनाने की जरूरत है। मुझे लगता है कि मेरा आईफोन टैप किया जा रहा है। अगर कोई देश ये तय कर ले कि आपका फोन टैप करना है तो फिर इसे रोका नहीं जा सकता। मुझे लगता है कि मैं जो भी करता हूं सरकार को उसकी पूरी जानकारी होती है।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में राहुल गांधी ने स्टूडेंट्स से कहा कि भारत में लोकतंत्र को लेकर जंग छिड़ी हुई है। कोई भी संस्था अपने मुताबिक काम नहीं कर रही है। लोकतंत्र का मतलब सिर्फ विपक्ष का होना नहीं होता, बल्कि लोकतंत्र का मतलब होता है कि संस्थाएं विपक्ष का साथ दें। लेकिन हमारे देश में संस्थाएं किसी और के हाथ में हैं। अपनी संसद सदस्यता जाने को लेकर भी राहुल बोले। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में उन्होंने कहा कि मैं 2004 में राजनीति में आया था। तब मैंने ये नहीं सोचा था कि कुछ बोलने भर से सांसदी जा सकती है। मैं शायद पहला इंसान हूं जिसे अवमानना की इतनी बड़ी सजा मिली है। राहुल ने कहा कि लोकतंत्र में संस्थाओं को खतरे में देखकर हमने भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की थी।
राहुल ने कहा कि सत्ता के पास पुलिस, मीडिया जैसी सभी संस्थाएं हैं, लेकिन फिर भी वो हमें भारत जोड़ो यात्रा से रोक नहीं पाए। हमसे कहा गया कि कश्मीर की सड़कों पर आप चलेंगे तो चार दिन में मार दिए जाएंगे। मैंने कहा, ओके, नो प्रॉब्लम। महात्मा गांधी ने भी अकेले बिना किसी फोर्स के अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक भारतीय छात्र ने राहुल से पूछा कि आप अगले 5-10 साल में भारत-चीन के रिश्तों को कहां देखते हैं। इस पर राहुल ने कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते मुश्किल रहेंगे। उन्होंने हमारे कुछ क्षेत्रों पर कब्जा कर रखा है, लेकिन वो हम पर दबाव नहीं डाल सकते।
साथ ही उन्होंने रूस-यूक्रेन जंग पर मोदी सरकार की नीतियों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि रूस से हमारे पुराने संबंध हैं। हम कुछ मामलों में उस पर निर्भर हैं। भारत को अपने हितों को सबसे आगे रखना है। हम किसी एक से रिश्ते सुधारने की वजह से बाकियों से बातचीत बंद नहीं कर सकते। ऐसे में जंग को लेकर सरकार सही रणनीति अपना रही है। मैं भी ऐसा ही कुछ करता।