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पहलवानों ने ऐन वक्त पर गंगा में मेडल्स बहाने का फैसला छोड़ा; टिकैत से बातचीत के बाद माने, सरकार को दिए पांच दिन का अल्टीमेटम
The Fact India: भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पहलवानों ने हरिद्वार के हर की पौड़ी में अपने मेडल्स बहाने का ऐलान किया था। रेसलर्स साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया हरिद्वार पहुंच भी गए थे। लेकिन ऐन वक्त पर गंगा में मेडल्स बहाने का फैसला टाल दिया। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत वहां पहुंचकर पहलवानों से बात की। उन्होंने केंद्र सरकार को कार्रवाई के लिए पांच दिन का अल्टीमेटम दिया है। टिकैत ने पहलवानों से मेडल्स और मोमेंटो वाली पोटली भी ले ली है। उन्होंने कहा कि इन्हें राष्ट्रपति को देंगे। सभी खिलाड़ी हरिद्वार से घर के लिए रवाना हो गए।
साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट करीब हर की पौड़ी में बैठकर एक घंटे तक मेडल पकड़े रोते रहे। उधर, गंगा समिति पहलवानों के खिलाफ खड़ी हो गई थी। उनका कहना था कि ये (हर की पौड़ी) पूजा-पाठ की जगह है, राजनीति की नहीं।
रेसलर साक्षी मलिक ने सोशल मीडिया एक पोस्ट की हैं। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि मेडल्स गंगा में प्रवाहित करने के बाद इंडिया गेट पर आमरण अनशन करेंगे। साक्षी ने लिखा कि हमने पवित्रता से इन मेडल को हासिल किया था। इन मेडल को पहनाकर तेज सफेदी वाला तंत्र सिर्फ अपना प्रचार करता है। फिर हमारा शोषण करता है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को नहीं लौटाएंगे, क्योंकि उन्होंने हमारी कोई सुध नहीं ली।
इस बीच, बृजभूषण शरण सिंह ने पांच जून को अयोध्या में महारैली बुलाई है। इसमें संत भाग लेंगे। बृजभूषण और संतों का कहना है कि पॉक्सो एक्ट का फायदा उठाकर इसका दुरूपयोग किया जा रहा है। साक्षी मलिक के सोशल मीडिया पर पोस्ट में लिखा है कि क्या हमने मेडल इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ घटिया व्यवहार करे। हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे। क्या महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न पर इंसाफ मांगकर कोई अपराध किया है। पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रहा है। शोषण करने वाला खुली सभाओं में फब्तियां कसकर ठहाके लगा रहा है।
पोस्ट में साक्षी ने लिखा है कि यह मेडल अब हमें नहीं चाहिए क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर सिर्फ अपना प्रचार करता है। यह तेज सफेदी वाला तंत्र और फिर हमारा शोषण करता है। हम उस शोषण के खिलाफ बोले तो हमें जेल में डालने की तैयारी कर लेता है। साक्षी मलिक का कहना है कि मेडल लौटाने पर सवाल आया कि किसे लौटाएं?, हमारी राष्ट्रपति को, जो खुद एक महिला हैं, हमसे 2 किलोमीटर दूर बैठी हैं लेकिन कुछ नहीं बोलीं। प्रधानमंत्री ने हमें अपने घर की बेटियां बताया लेकिन एक बार भी सुध नहीं ली। उलटा नई संसद के उद्घाटन में शोषण करने वाले को बुलाया। क्या बेटियां सिर्फ नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं।