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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 3 मई अपना 72वां जन्मदिवस मना रहे हैं. उनके लिए ये साल खास है. क्योंकि, इस साल राजनीतिक सफर में उनकी हाफ सेंचुरी पूरी हो चुकी है. पचास साल के राजनीतिक सफर में लोकप्रिय योजनाओं को लागू करने के साथ-साथ गांधी वादी सिद्धांतों पर जोर देने वाले मुख्यमंत्री अशोक ने अपने शांत स्वभाव, मजबूत इरादे, गंभीर सोच और दूरदर्शिता के दम पर राजस्थान में गहलोत युग स्थापित किया. विरोधियों को गांधीवादी सिद्धांतों के साथ शांत करने का नाम ही अशोक गहलोत बन गया है.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जन्म 3 मई 1951 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ. 12वीं तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने जयनारायाण व्यास यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेज में एडमिशन लिया. जन्म से ही प्रतिभा के धनी अशोक गहलोत ने विज्ञान संकाय और कानून से स्नात्तक की डिग्री हांसिल की. मुख्यमंत्री के साथ-साथ वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्नात्तक के बाद अर्थशास्त्र से मास्टर डिग्री भी हासिल की.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का विवाह सुनीता गहलोत के साथ 27 नवम्बर, 1977 को हुआ. विवाह के बाद पुत्र वैभव गहलोत और पुत्री सोनिया गहलोत उनके जीवन में आए. जन्म से ही वंचित वर्ग, शोषित वर्ग के साथ-साथ गांव, गरीब की सेवा के लिए तत्पर रहने वाले अशोक गहलोत ने बचपन से ही समाज सेवा में हाथ बटाए हैं. 1971 में बंग्लादेश युद्ध के दौरान पश्चिम बंगाल के बंगांव और 24 परगना जिलों में शरणार्थी शिविरों में अशोक गहलोत ने जमकर समाज सेवा की. इसके बाद भी समाज सेवा का सिलसिला थमा नहीं. सीएम गहलोत ने अपने युवाकाल में ही तरूण शान्ति सेना द्वारा सेवाग्राम, वर्धा, औरंगाबाद, इन्दौर में लगे शिविरों में सक्रिय रूप से कच्ची बस्ती और झुग्गी क्षेत्रों के विकास के लिए भरपूर प्रयास किए. आज भी अशोक गहलोत जरूरतमंद तबके के लिए सेवा करने वाली संस्थाओं के साथ मिलकर उनके जीवन उत्थान के लिए लगातार संघर्षरत हैं. राजस्थान के सीएम ने अब तक पांच बार सांसद, तीन बार केन्द्र में मंत्री, 3 बार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष, 2 बार कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव, 5 बार विधायक और तीन बार मुख्यमंत्री बनकर अशोक गहलोत युग स्थापित किया है.