Dark Mode

Vote / Poll

BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?

View Results
अब जनता कांग्रेस-भाजपा से परेशान हो चुकी है
30%
'आप' की वजह से कांग्रेस और भाजपा में चिंता है
9%
केजरीवाल राजस्थान में कामयाब नहीं हो पाएंगे
90%
राजस्थान में भी 'आप' की सरकार बननी चाहिए
70%
Total count : 138

Vote / Poll

डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?

अजय सिंह किलक
56%
शिव देशवाल
26%
अन्य
18%
Total count : 7524

Vote / Poll

कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?

View Results
सिद्देरमैया
67%
डीके शिवकुमार
13%
मल्लिकार्जुन खड़गे
13%
बता नहीं सकते
7%
Total count : 15

Vote / Poll

फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?

View Results
समुदाय विशेष को टारगेट करना
38%
राजनीतिक लाभ लेने के लिए
13%
फिल्मों को हिट करने के लिए
38%
कुछ बता नहीं सकते
13%
Total count : 8

Newsletter

Subscribe to our mailing list to get the new updates!

पटना हाईकोर्ट के सात जजों का जीपीएफ खाता बंद, सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार, सीजेआई भी हैरान

The Fact India: पटना हाईकोर्ट के सात जजों का जनरल प्रोविडेंट फंड (जीपीएफ) खाता बंद हो गया है। इन सातों जजों ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई। जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के पास पहुंचा तो वह भी हैरान हो गए। सीजेआई ने आश्‍चर्यचकित होकर पूछ लिया- “क्या? जजों का जीपीएफ खाता बंद? याचिकाकर्ता कौन है?” इसके बाद मुख्‍य न्‍यायाधीश ने कहा कि इस मामले में 24 फरवरी को सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ से इस मामले में जल्द सुनवाई करने की तारीख मांगी गई थी। याचिका दायर करने वाले न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा, न्यायमूर्ति सुनील दत्त मिश्रा, न्यायमूर्ति शैलेन्द्र सिंह, न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार, न्यायमूर्ति आलोक कुमार पांडेय, न्यायमूर्ति चन्द्रप्रकाश सिंह और न्यायमूर्ति चंद्रशेखर झा हैं। इन सभी जजों ने सुप्रीम कोर्ट में सामान्य भविष्य निधि खातों को बंद करने के लिए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश को चुनौती दी है। ये सभी न्यायिक सेवा कोटे से 22 जून को न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। जज बनने के बाद इन सभी के जीपीएफ अकाउंट को बंद कर दिया गया।

देश के इतिहास में यह पहली घटना होगी जब भेदभाव किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट के सात मौजूदा जज न्याय की गुहार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हों। सुप्रीम कोर्ट से पटना हाईकोर्ट के सात जजों की याचिका पर सुनवाई का अनुरोध किया गया तो सीजेआई भी चौंक पड़े। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के जजों के साथ इस आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वे न्यायिक सेवा कोटे से नियुक्त हुए हैं। इन सभी जजों के जीपीएफ अकाउंट को यह कहकर बंद कर दिया गया कि न्यायिक सेवा में उनकी नियुक्ति साल 2005 के बाद हुई थी।

जजों का कहना है कि उन्हें भी वही सुविधा मिलनी चाहिए जो सुविधा वकील कोटे से नियुक्त जजों को दी जा रही। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वेणुगोपाल पटना हाईकोर्ट के जजों की ओर से बहस करेंगे। उनके जीपीएफ खाते को बंद करने का निर्देश इसलिए दिया गया है क्यों कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति से पहले, याचिकाकर्ताओं को न्यायिक अधिकारियों के रूप में राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत कवर किया गया था। गौरतलब है कि हाईकोर्ट के जजों का वेतन और सेवा की शर्तें अधिनियम, 1954 की धारा 20 का प्रावधान प्रदान करता है, “एक न्यायाधीश जिसने संघ या राज्य के तहत किसी भी अन्य पेंशन योग्य सिविल पद पर कार्य किया है, वह उस भविष्य निधि में अंशदान करना जारी रखेगा जिसमें वह था।“

47 Views

You May Also Like