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भारत ने हाल ही में ब्लड कैंसर के उपचार में ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की है. दरअसल, भारतीय वैज्ञानिकों और डॉक्टरा ने स्वदेशी जीन थेरेपी डिवेलप की है, जिसने महज 9 दिन में ब्लड कैंसर को पूरी तरह खत्म कर दिया. इसे CAR-T सेल थेरेपी (Chimeric Antigen Receptor T-Cell Therapy) भी कहते हैं. इस थेरेपी ने ब्लड कैंसर के उन मरीजों के लिए भी नई उम्मीद जगाई है, जिनका इलाज पारंपरिक तरीकों से नहीं हो पा रहा था. आइए जानते हैं कि यह थेरेपी कैसे काम करेगी और ब्लड कैंसर के मरीजों को इससे क्या फायदा होगा?
क्या है CAR-T सेल थेरेपी?
CAR-T सेल थेरेपी एक एडवांस्ड इम्यूनोथेरेपी है, जिसमें मरीज की इम्युनिटी सेल्स (T-Cells) को लैब में जेनेटिक रूप से संशोधित किया जाता है, जिससे वे कैंसर की सेल्स को पहचानकर नष्ट कर सकें. इस प्रक्रिया में, मरीज के शरीर से T-कोशिकाएं निकाली जाती हैं, जिन्हें लैब में स्पेशल तकनीक से प्रोग्राम किया जाता है और फिर मरीज के शरीर में डाला जाता है. ये संशोधित कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं को टारगेट करके उन्हें प्रभावी ढंग से नष्ट करती हैं. यह थेरेपी ल्यूकेमिया और लिम्फोमा जैसे ब्लड कैंसर के इलाज में कारगर साबित हुई हैं. इस थेरेपी को भारत के ड्रग कंट्रोलर ने अक्टूबर 2023 में मंजूरी दी थी. वहीं, इसके क्लिनिकल ट्रायल के रिजल्ट हाल ही में लैंसेट हेमेटोलॉजी जैसे प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल में पब्लिश हुए हैं. इन रिजल्ट के अनुसार, इस थेरेपी ने 73% मरीजों में पॉजिटिव असर दिखाया.
कितने रुपये में हो जाएगी यह थेरेपी?
भारत में डिलेवप CAR-T सेल थेरेपी की सबसे बड़ी खासियत इसकी लागत है. ग्लोबल लेवल पर इस थेरेपी से इलाज कराने की कीमत करीब 25 लाख रुपये है, जबकि भारत में इसे महज 1.25 लाख रुपये में उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं, भारतीय डॉक्टरों ने 9 दिन में ब्लड कैंसर को खत्म करने में सफलता हासिल की है. इस थेरेपी का नाम Vel-CAR-T रखा गया है. यह थेरेपी उन मरीजों के लिए विशेष रूप से प्रभावी है, जिनका कैंसर बार-बार लौट रहा हो या जिन पर कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी जैसे पारंपरिक उपचार असर नहीं कर रहे हो.
नई थेरेपी से मरीजों को होंगे ये फायदे
CAR-T सेल थेरेपी से ब्लड कैंसर के मरीजों को काफी फायदे होंगे. सबसे पहले तो क्लिनिकल ट्रायल में इस थेरेपी से 73 पर्सेंट मरीजों में पॉजिटिव रिजल्ट मिले हैं. कुछ मामलों में यह थेरेपी कैंसर को पूरी तरह खत्म करने में कामयाब रही है. पारंपरिक कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के मुकाबले CAR-T सेल थेरेपी के साइड इफेक्ट कम हैं. हालांकि, कुछ मरीजों में एनीमिया, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (कम प्लेटलेट्स), न्यूट्रोपेनिया (कम सफेद रक्त कोशिकाएं) और फेब्राइल न्यूट्रोपेनिया जैसे दुष्प्रभाव देखे गए हैं.
