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जयपुर: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाने को लेकर शुरू हुई बहस अब राजस्थान में भी गर्मा गई है। इस मुद्दे पर बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और हवा महल विधायक बाल मुकुंद आचार्य ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है।
बाल मुकुंद आचार्य ने कहा कि आइडेंटिटी छुपाने का मतलब कोई झोल हो सकता है। उनका कहना है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी पहचान छुपाकर दुकान चला रहा है, तो यह उचित नहीं है। आचार्य ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कोई रहीम है और अपनी दुकान पर "राधे-राधे" लिख रहा है, या कोई राधे-राधे है और "रहीम" लिख रहा है, तो यह ठीक नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि लोगों को अपनी पहचान स्पष्ट तरीके से प्रकट करनी चाहिए।
साथ ही, आचार्य ने कांवड़ यात्रा के दौरान मीट की दुकानों को लेकर भी आपत्ति जताई है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सावन के महीने में कांवड़ियों के मार्ग पर मीट की दुकानों को हटाया जाए। उनका कहना है कि इन दुकानों से दुर्गंध आती है और मार्ग में गंदगी फैलती है, जिससे कांवड़ियों को परेशानी होती है। आचार्य ने इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट से भी गुहार लगाई है।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने नेम प्लेट के मुद्दे पर राज्य सरकारों के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि दुकानदारों को केवल खाद्य पदार्थों की जानकारी प्रदर्शित करने के लिए कहा जा सकता है, लेकिन उनके नाम और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने की कोई बाध्यता नहीं होनी चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।