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Vote / Poll

BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?

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अब जनता कांग्रेस-भाजपा से परेशान हो चुकी है
30%
'आप' की वजह से कांग्रेस और भाजपा में चिंता है
11%
केजरीवाल राजस्थान में कामयाब नहीं हो पाएंगे
90%
राजस्थान में भी 'आप' की सरकार बननी चाहिए
70%
Total count : 142

Vote / Poll

डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?

अजय सिंह किलक
56%
शिव देशवाल
26%
अन्य
18%
Total count : 7526

Vote / Poll

कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?

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सिद्देरमैया
65%
डीके शिवकुमार
18%
मल्लिकार्जुन खड़गे
12%
बता नहीं सकते
6%
Total count : 17

Vote / Poll

फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?

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समुदाय विशेष को टारगेट करना
42%
राजनीतिक लाभ लेने के लिए
8%
फिल्मों को हिट करने के लिए
42%
कुछ बता नहीं सकते
8%
Total count : 12

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राजस्थान में नेम प्लेट मुद्दा: बाल मुकुंद आचार्य का बयान !

राजस्थान में नेम प्लेट मुद्दा: बाल मुकुंद आचार्य का बयान !
Abhishek Mudgal
July 22, 2024

 

जयपुर: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाने को लेकर शुरू हुई बहस अब राजस्थान में भी गर्मा गई है। इस मुद्दे पर बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और हवा महल विधायक बाल मुकुंद आचार्य ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है।

बाल मुकुंद आचार्य ने कहा कि आइडेंटिटी छुपाने का मतलब कोई झोल हो सकता है। उनका कहना है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी पहचान छुपाकर दुकान चला रहा है, तो यह उचित नहीं है। आचार्य ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कोई रहीम है और अपनी दुकान पर "राधे-राधे" लिख रहा है, या कोई राधे-राधे है और "रहीम" लिख रहा है, तो यह ठीक नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि लोगों को अपनी पहचान स्पष्ट तरीके से प्रकट करनी चाहिए।

साथ ही, आचार्य ने कांवड़ यात्रा के दौरान मीट की दुकानों को लेकर भी आपत्ति जताई है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सावन के महीने में कांवड़ियों के मार्ग पर मीट की दुकानों को हटाया जाए। उनका कहना है कि इन दुकानों से दुर्गंध आती है और मार्ग में गंदगी फैलती है, जिससे कांवड़ियों को परेशानी होती है। आचार्य ने इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट से भी गुहार लगाई है।

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने नेम प्लेट के मुद्दे पर राज्य सरकारों के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि दुकानदारों को केवल खाद्य पदार्थों की जानकारी प्रदर्शित करने के लिए कहा जा सकता है, लेकिन उनके नाम और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने की कोई बाध्यता नहीं होनी चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।

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