Categories
Vote / Poll
BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?
Vote / Poll
डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?
Vote / Poll
कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?
Vote / Poll
फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?
Recent Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!
Recommended Posts
Featured Posts
इस साल दिसंबर में राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट ने हाल ही में एक बयान देकर संकेत दिया है कि पार्टी सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की योजना बना रही है।
टोंक में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सचिन पायलट ने कहा, "कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता हर चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं। हमारा कार्यकर्ता मजबूत है और हम विश्वास के साथ सभी सीटें जीतेंगे। हालांकि, गठबंधन का निर्णय दिल्ली से ही होगा।"पायलट का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राजस्थान में कांग्रेस और अन्य सहयोगी पार्टियों जैसे कि हनुमान बेनीवाल की आरएलपी और बाप पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने भी अकेले चुनाव लड़ने की संभावना पर पहले ही संकेत दिए थे।
बता दे कि राजस्थान में सात विधानसभा सीटें रिक्त हैं, जिनमें से अधिकांश सीटें मौजूदा विधायकों द्वारा लोकसभा चुनाव जीतने के कारण खाली हुई हैं। इन सीटों में शामिल हैं: दौसा, झुंझुनू, देवली उनियारा, खींवसर, चौरासी, रामगढ़ (जुबेर खान की मृत्यु के कारण), सलूंबर (भाजपा विधायक अमृतलाल मीणा की मृत्यु के कारण) कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में सहयोगी पार्टियों के साथ मिलकर राजस्थान में 11 सीटें जीती थीं, जिनमें से आठ कांग्रेस और तीन गठबंधन की थीं। लेकिन चुनाव के तुरंत बाद हुए बैठकों में गठबंधन के नेता शामिल नहीं हुए, जिससे राजनीतिक समीकरण में बदलाव आया है। इस स्थिति में, आरएलपी और बाप पार्टी अब कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं दिखाई दे रहे हैं।
कांग्रेस का अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय संभावित रूप से राज्य में राजनीतिक शक्ति संतुलन को बदल सकता है। पार्टी के कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास और संगठनात्मक मजबूती, चुनाव परिणामों पर प्रभाव डाल सकती है। अब देखना यह है कि क्या कांग्रेस वास्तव में अकेले चुनाव लड़ने में सफल हो पाती है या फिर गठबंधन की ओर लौटने का विचार करेगी।
राजस्थान के आगामी विधानसभा उपचुनाव केवल राजनीतिक शक्ति संतुलन का ही परीक्षण नहीं होंगे, बल्कि यह भी निर्धारित करेंगे कि कांग्रेस अपने आप को राज्य की राजनीति में कैसे स्थिर रखती है। सभी की नजरें अब इन महत्वपूर्ण चुनावों पर हैं,