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आज हम चर्चा करेंगे राजस्थान की सियासत में चल रहे द्वन्द्व की.जैसा इतिहास रहा है जब भी दो पक्षों में विरोध होता है. तो नतीजा सामने आता है कि, दोनों में से एक विजय होगी. लेकिन अगर उन दोनों पक्षों के ऊपर कोई और भी है तो स्थिति थोड़ी ज्यादा क्रिटिकल हो जाती है और दोनों की सुलह के लिए जिसको भी भेजा जाता है. और सुलह नहीं हो पाती तो गाज भी उसी व्यक्ति पर गिरती है. प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के लिए भी कुछ ऐसी ही स्थिति बन रही है. वे प्रदेश कांग्रेस में चल रहे आपसी मतभेद को तो दूर नहीं रह पाए. लेकिन भेदभाव के आरोपों से जरूर घिर गए. रंधावा पर गहलोत का एक तरफा साथ देने के आरोप लग रहे हैं.
अब ऐसे में सवाल उठता है कि, क्या रंधावा भी पुराने प्रदेश प्रभारियों की तरह गहलोत और पायलट की आपसी लड़ाई की भेंट चढ़ेंगे. इस सवालो को लेकर जब हमने पोल कराया तो ज्दातर लोगों ने रंधावा के खिलाफ वोट किया. ज्यादातर लोगों का मानना है कि, रंधावा सीधे तौर पर सीएम गहलोत का एक तरफा साथ दे रहे हैं. इस बात को हम पिछले दिनों हुई घटनाओं पर गौर करके देख लेते हैं. जब पायलट ने अचानक से प्रेस कांन्फ्रेंस कर पूर्व सीएम राजे के समय हुए कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच नहीं कराने के लेकर अशोक गहलोत पर सवाल खड़े कर दिए. इसके बाद ही रंधावा ने कहा था कि, पहले पायलट को चर्चा करनी थी. इसके बाद पायलट के अनशन को भी रंधावा ने पार्टी विरोधी बताया था. और जांच कर कार्रवाई करने की बात भी कह दी थी.
इसके बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि, कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी करने वालों पर भी मेरी नजर है. रंधावा ने कहा कि, भ्रष्टाचार को लेकर बोलने के लिए विधानसभा से बड़ी कोई जगह नहीं है क्योंकि यहां विपक्ष, मुख्यमंत्री और विधायक मौजूद रहते हैं. ऐसे में पायलट को अपनी बात को प्वाइंट में रखते हुए बताना चाहिए था कि गहलोत सरकार ने अब तक क्या किया है?. ऐसे में सीएम अशोक गहलोत मामले को लेकर जवाब देते. इसके बाद कांग्रेक के सभी नेताओं का वर्कशॉप रखी गई. जिसमें पायलट नहीं पहुंचे थे. वन टू वन चर्चा भी रखी गई लेकिन पायलट अपने कार्यक्रमों में बिजी रहे. इसके बाद रंधावा ने कहा कि, मैंने वर्कशॉप में मौजूद सभी लोगों से कहा कि कोई भी नेता कांग्रेस की वजह से है. मैंने यह भी कहा कि, किसी भी ऐसे शख्स की बात ना माने जो कि पार्टी के खिलाफ बोल रहा है. उनका निशाना सीधा पायलट की तरफ था. इसी दौरान रंधावा ने गहलोत की भी तारीफ की औऱ उन्हें सीधा इंसान बताते हुए थोड़ा कठोर होने की नसीहत दी.
इसके बाद जब पायलट ने कहा कि, रंधावा जांच कर फाइलों को आलाकमान को भेज रहे हैं. उन्हें एक फाइल उन नेताओं की भी भेजनी चाहिए जिनके खिलाफ केस दर्ज हैं. इस पर रंधावा ने कहा कि, उनका ध्यान आने वाले विधानसभा चुनाव पर है. रंधावा के इस रवैये से पायलट के समर्थन उन पर आरोप लगा रहे हैं कि, वे गहलोत की वजह से पायलट को टार्गेट कर रहे हैं. प्रदेश प्रभारी को बदलने तक की मांग उठ चुकी है. कांग्रेस में चल रही ये स्थिति दिनों दिन और ज्यादा गंभीर होती जा रही है. हमने जो पोल कराया उसके अनुसार तो रंधावा की राजस्थान से विदाई निश्चित है.
