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JAIPUR : धरोहर तोड़ी गई, आस्था को रौंदा गया, और सियासत ने चुप्पी साध ली! क्या यह सिर्फ विकास है या इतिहास की अनदेखी? बूंदी में 500 साल पुरानी राव सूरजमल हाडा की छतरी को तोड़ना, क्या ये प्रशासन की लापरवाही है या इसके पीछे कोई छुपा एजेंडा?
राजस्थान की वीर भूमि एक बार फिर राजनीति के पीले धुएं में घिर गई है। कोटा विकास प्राधिकरण ने ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए प्रस्तावित जमीन के अधिग्रहण के दौरान 500 साल पुरानी ऐतिहासिक छतरी को ध्वस्त कर दिया, और इसके साथ ही जनता की आस्था और गौरवशाली इतिहास भी धूल में मिल गए। भाजपा विधायक और कोटा के पूर्व राज परिवार की महारानी कल्पना देवी ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर छतरी के पुनर्निर्माण की मांग की है, जबकि कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल इसे सरकार का षड्यंत्र करार दे रहे हैं।
सोचने वाली बात यह है कि क्या विकास के नाम पर राजस्थान की धरोहरों को मिटाने की छूट मिल गई है? क्या ये प्रशासनिक लापरवाही है या फिर इतिहास से मुंह मोड़ने की कोशिश? महारानी कल्पना देवी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा है कि राव सूरजमल हाडा की छतरी, जो बूंदी राज्य की एक ऐतिहासिक धरोहर थी, उसे गैर जिम्मेदार तरीके से तोड़ दिया गया। इससे केवल कोटा-बूंदी का राज परिवार ही नहीं, बल्कि तमाम समाज गहरे आहत हुए हैं। छतरी न केवल वीरता का प्रतीक थी, बल्कि क्षेत्र की जनता की आस्था से भी जुड़ी हुई थी।
लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सरकार और विकास प्राधिकरण को इस बात का अहसास भी था कि वे क्या तोड़ रहे हैं? कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने इस घटना को आस्था के साथ खिलवाड़ बताया है और कहा कि यह एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। गुंजल का दावा है कि राव सूरजमल हाडा की छतरी पूरे समाज के लिए पूजनीय थी और इस तरह उसका ध्वस्त होना एक गंभीर अपराध है।
क्या इतिहास के नाम पर यह एक और खिलवाड़ है, या विकास की रफ्तार में धरोहरों को कुचलने का एक नया तरीका? महारानी कल्पना देवी ने मांग की है कि न केवल छतरी का पुनर्निर्माण किया जाए, बल्कि प्रस्तावित हवाई अड्डे का नाम भी राव सूरजमल हाडा के नाम पर रखा जाए। सवाल यह है कि क्या सरकार इन मांगों को सुनेगी या फिर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में जनता की आस्था एक बार फिर कुचली जाएगी? जब इतिहास के पन्नों को मिटाया जाएगा, तो क्या जनता की याददाश्त भी मिटाई जा सकेगी?