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RAJASTHAN NEWS : संसद का मौजूदा बजट सत्र जारी है, लेकिन राजस्थान के कई सांसदों का प्रदर्शन सवाल उठाने के मामले में संतोषजनक नहीं रहा है। प्रदेश के 25 सांसदों में से चार मंत्री और एक लोकसभा अध्यक्ष हैं, जो स्वाभाविक रूप से सवाल नहीं पूछते। लेकिन इनके अलावा शेष 20 सांसदों के रिपोर्ट कार्ड की बात करें तो कुछ ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है, जबकि कुछ ने बिल्कुल ही निराश किया है।
प्रदेश के चार सांसद—मंजू शर्मा, महिमा कुमारी, दामोदर अग्रवाल और भजनलाल जाटव—इस सत्र में एक भी सवाल नहीं पूछ सके हैं। वहीं, सवाल पूछने में शीर्ष पर जो तीन सांसद हैं, वे हैं—दुष्यंत सिंह, हनुमान बेनीवाल और हरीश मीना। दुष्यंत सिंह ने 21 सवालों के साथ सबसे आगे हैं, हनुमान बेनीवाल ने 18 और हरीश मीना ने 17 सवाल उठाए हैं। इसके अलावा, तीन सांसदों ने 16-16 सवाल पूछे हैं, जबकि कुछ सांसदों ने केवल एक या दो सवाल ही उठाए हैं।
संसद में पहली बार पहुंचे 14 नए सांसदों में से कुछ ने सवाल पूछने में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इनमें राजकुमार रोत का नाम खास तौर पर उल्लेखनीय है। राजकुमार रोत, जो भारत आदिवासी पार्टी (BAP) से सांसद हैं, सवाल पूछने में चौथे नंबर पर रहे हैं। BAP ने इस पर गर्व व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया है, जिसमें उनके सांसद के इस प्रदर्शन की सराहना की गई है। पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे अपने क्षेत्र और देश के आदिवासी, दलित, पिछड़े, ओबीसी, और अल्पसंख्यक समुदायों की आवाज़ को बुलंद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
जिसको लेकर BAP ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है|18वी लोकसभा सांसद 2024 के यह राजस्थान के सांसदों का एक महीने का रिपोर्ट कार्ड हैं जिस्म भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार जी चौथे नंबर पर हैं।भारत आदिवासी पार्टी का प्रयास जारी हैं कि हम इन सवालों के माध्यम से अपने क्षेत्र और पूरे देश के आदिवासी दलित पिछड़े OBC minority लोगों की आवाज़ को बुलंद करना हैं "जोहार"
राजकुमार रोत जैसे साहसी सांसदों का यह प्रयास दिखाता है कि जब भी संसद में महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं, तो उनकी आवाज़ बुलंद होती है। उनके जैसे नेताओं के कारण ही लोकतंत्र में आम जनता की समस्याओं को उचित मंच मिलता है। लेकिन इसके विपरीत, कुछ सांसदों का निराशाजनक प्रदर्शन सवाल खड़े करता है कि क्या वे अपने क्षेत्र की जनता की उम्मीदों पर खरे उतर पा रहे हैं? यह रिपोर्ट कार्ड न केवल सांसदों की जिम्मेदारी को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि संसद में सवाल उठाना कितना महत्वपूर्ण है।