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BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?

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अब जनता कांग्रेस-भाजपा से परेशान हो चुकी है
30%
'आप' की वजह से कांग्रेस और भाजपा में चिंता है
11%
केजरीवाल राजस्थान में कामयाब नहीं हो पाएंगे
90%
राजस्थान में भी 'आप' की सरकार बननी चाहिए
70%
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डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?

अजय सिंह किलक
56%
शिव देशवाल
26%
अन्य
18%
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Vote / Poll

कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?

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सिद्देरमैया
67%
डीके शिवकुमार
17%
मल्लिकार्जुन खड़गे
11%
बता नहीं सकते
6%
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फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?

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समुदाय विशेष को टारगेट करना
38%
राजनीतिक लाभ लेने के लिए
15%
फिल्मों को हिट करने के लिए
38%
कुछ बता नहीं सकते
8%
Total count : 13

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"राजेश पायलट को श्रद्धांजलि – गहलोत को दिया न्योता, क्या बदलेगा समीकरण?"

Pooja Parmar
June 9, 2025

भारतीय राजनीति के लिए केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक विरासत की स्मृति का दिन है। इस दिन स्वर्गीय राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर जयपुर में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया जा रहा है, जिसकी तैयारियों की जानकारी खुद उनके बेटे और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सोशल मीडिया पर साझा की।

उन्होंने लिखा—
"स्व. राजेश पायलट जी की 25वीं पुण्यतिथि पर उनकी पुण्य स्मृतियों में 11 जून को आयोजित होनी वाली प्रार्थना सभा की तैयारियों का जायजा लिया।"

यह पोस्ट केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि राजस्थान की राजनीतिक ज़मीन पर हो रहे नरम लेकिन गहरे हलचलों की तरफ इशारा करती है। खासतौर पर तब, जब इस आयोजन में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया गया है—वो भी ऐसे समय में जब पायलट और गहलोत गुटों के बीच पिछले कई वर्षों से तनातनी जगजाहिर रही है।


🕊️ राजेश पायलट: किसान पुत्र से जननेता तक की विरासत

राजेश पायलट भारतीय राजनीति में एक साफ-सुथरी, जमीनी और जनपक्षधर छवि के नेता थे। वे भारतीय वायुसेना के पायलट से राजनेता बने, और हमेशा किसान, मजदूर और ग्रामीण भारत की आवाज़ बने रहे।

उनकी लोकप्रियता न केवल राजस्थान तक सीमित थी, बल्कि वे राष्ट्रीय राजनीति में भी एक सशक्त चेहरा थे। उनके अचानक निधन (2000) ने कांग्रेस पार्टी को झकझोर दिया, लेकिन उनकी राजनीतिक विरासत को उनके बेटे सचिन पायलट ने संभालने का बीड़ा उठाया।


📌 सचिन पायलट की पोस्ट का राजनीतिक पाठ

सचिन पायलट ने जब यह पोस्ट की, तब यह स्पष्ट था कि यह आयोजन केवल स्मृति के लिए नहीं है, बल्कि राजनीतिक संदेश देने के लिए भी है।

कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. 25वीं पुण्यतिथि – यह एक प्रतीकात्मक पड़ाव है, जो किसी नेता के योगदान को नई पीढ़ी को दोहराने का अवसर देता है।

  2. तैयारियों का जायजा – यह दिखाता है कि आयोजन सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि योजनाबद्ध और संगठित है।

  3. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आमंत्रण – यह आमंत्रण सामान्य नहीं, बल्कि एक सियासी नरमी और संभावित सुलह के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।


🧭 राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो...

पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान की राजनीति में गहलोत बनाम पायलट का टकराव कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति का केंद्र बना रहा है। पायलट समर्थक यह मानते रहे हैं कि 2020 की बगावत के बाद पार्टी ने उन्हें पूरी तरह स्वीकार नहीं किया।

लेकिन अब जबकि कांग्रेस विपक्ष में है, और संगठनात्मक पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, ऐसे में पायलट की यह पहल उनकी "व्यापक स्वीकार्यता" को दोबारा स्थापित करने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है।


🎯 गहलोत को बुलाना – रणनीतिक चुप्पी या समझदारी?

पिछले वर्षों में दोनों नेताओं के बीच तीखे बयानबाज़ी की घटनाएं सार्वजनिक रही हैं। लेकिन इस बार पायलट ने गहलोत को व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित कर एक सांकेतिक सियासी संवाद की शुरुआत की है।

इसका मतलब हो सकता है:

  • कांग्रेस आलाकमान को संदेश देना कि पायलट अब सुलझे हुए और सबको साथ लेकर चलने वाले नेता हैं।

  • गहलोत खेमे को यह दिखाना कि पायलट अब अकेले नहीं हैं – उनके पीछे जनसमर्थन भी है और पारिवारिक विरासत का नैतिक बल भी।

  • मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच अपनी ‘परिपक्व’ नेता की छवि गढ़ना।


🏛️ आगामी समीकरण और पायलट की भूमिका

कांग्रेस राजस्थान में अब एक नई पीढ़ी का नेतृत्व खोज रही है, और सचिन पायलट उसके सबसे स्वाभाविक दावेदार हैं।

अगर गहलोत इस आयोजन में उपस्थित होते हैं, तो यह पार्टी के अंदर एक नई राजनीतिक समझौते की शुरुआत हो सकती है।
अगर नहीं आते, तो पायलट को सहानुभूति का लाभ मिलेगा, और वे अपने को समावेशी नेता के रूप में और मज़बूत कर सकेंगे।


📸 आयोजन की प्रस्तुति भी होगी महत्वपूर्ण

सूत्रों के अनुसार, आयोजन में:

  • राजेश पायलट के जीवन पर आधारित फोटो एग्ज़िबिशन

  • कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के वक्तव्य

  • ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की भागीदारी

  • किसानों और युवाओं पर केंद्रित विचार गोष्ठी

जैसी गतिविधियाँ शामिल होंगी, जिससे यह केवल एक पारिवारिक आयोजन न होकर, एक राजनीतिक आयोजन की शक्ल लेगा।