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हौसले बुलंद तो मंजिल दूर नहीं
- September 7, 2019 Author : Team Fact India JP
प्रदीप आजाद
The Fact India: ‘कौन कहता है कि आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।’ किसी शायर की ये पंक्तियां अपने आप में बहुत कह जाती है…और इस बार ये लाइनें सटीक तौर पर उतरती है हमारे देश के वैज्ञानिकों पर। माना कि इस बार हमें अपने मिशन को पूरा करने में कामयाबी नहीं मिली लेकिन ये भी ठीक है कि हमें हौंसला नहीं खोना चाहिए।
हमारे देश के होनहार वैज्ञानिकों ने लम्बे वक्त से अपना मिशन चलाया हुआ था…और बड़ी तादाद में इसरो के वैज्ञानिकों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी चंद्रयान—2 (Chandrayaan-2) को उसकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए। इस पूरे मंजर के गवाह बनने के लिए खुद देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इसरो पहुंचे थे और वैज्ञानिकों का हौंसला बढा रहे थे लेकिन यहां नियती को कुछ ओर ही मंजूर था।
चंद्रयान-2 से संपर्क टूटने के बाद पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों का बढ़ाया हौसला
देश के करोड़ों लोग आधी रात को सोए नहीं थे। बस उन्हें इंतजार था तो केवल एक उस कामयाबी का, जिसके बाद देश का नाम ओर उंचा होना था लेकिन जब वक्त गुजर गया तो लोगों का दु:ख कुछ इस कदर देखा गया मानों उनका अपना कहीं खो गया हो।
माना कि हमें इस बार पूरी तरह कामयाबी नहीं मिली, लेकिन ऐसा भी नहीं कि कामयाबी के पल हमसे ज्यादा दूर होंगे। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी इसरो में अपनी जिस मौजूदगी को दर्शाया वो वाकई काबिल—ए—तारीफ रही। प्रधानमंत्री मोदी की वो तस्वीर भी वाकई यादगार रहेगी जिसमें उन्होनें इसरो के प्रमुख को गले लगाया और उनके दु:ख को जाना।
बहरहाल, अभी कामयाबी नहीं तो कोई बात नहीं, जब हौंसले बुलंद है तो फिर कामयाबी के रास्ते भी ज्यादा दूर नहीं होंगे।
- Post By Team Fact India