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गहलोत सरकार से परेशान वीरंगनाओं ने लगाई पायलट से गुहार…कहा—हमें गोली मार दीजिए

ये कहानी है पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं की…ये कहानी है राजस्थान के गड़बड़ाते सियासी समीकरणों की…ये तस्वीरें हैं उन वीरांगनाओं की…जो पिछले सात दिन से इंसाफ की आस में सूबे की सरकार के दरवाजों को खटखटा रही है…ये मंजर है उन वीरांगनाओं का…जो सरकार के नुमाइंदों से मिलती हैं…पुकार लगाती है…रोती है बिलखती है…और बस यही कहती है कि उनकी मांग पूरी की जाए…और ये तस्वीर है सूबे के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की…जो इन वीरांगनाओं को भरोसा दिलाते हैं कि जो उनके बस में है…वो इनके हक के लिए लड़ने को तैयार है…दरअसल आज दोपहर सचिन पायलट के सरकारी बंगले पर माहौल बिल्कुल शांत था…और पायलट वहां मौजूद खबरनवीसों को होली की शुभकामनाएं दे रहे थे…लेकिन फिर अचानक माहौल बदल गया…करीब आधे घण्टे तक जो मंजर पैदा हुआ…तो वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों के भी होश फाख्ते हो गए…कोई समझ नहीं पाया कि आखिर हुआ क्या…लेकिन जब पायलट के इस सरकारी बंगले पर वीरांगनाओं की चीखपुकार नजर आई तो फिर छोटे सरकार को भी वीरांगनाओं के पास आना पड़ा…ये वीरांगनाए अड़ी थी कि पायलट साहब उनकी बात सुने…उनके साथ ही यहीं पर बैठे…आखिर जनाब…सियासत का दस्तूर भी है…कई बार नेताओं को जनता की बात माननी भी पड़ती है…और पहले से ही सूबे के सियासी समीकरणों में उलझे सचिन पायलट को इन वीरांगनाओं से मुखतिब होना भी पड़ा…वो इन वीरांगनाओं के साथ जमीन पर बैठे…उनकी बात सुनी…ओर फिर इशारों इशारों में मौका देख सूबे की गहलोत सरकार और सूबे की पुलिस पर सवाल भी उठा दिए… दरअसल पायलट के बंगले पर पंहुची इन वीरांगनाओं ने पायलट से इंसाफ की गुहार लगाई…आंखों में आंसू थे…हाथ जुड़े थे…और बस मुंह से यही बोल निकल रहे थे…कि साहब…हमारे साथ पुलिस ने बहुत बुरा बर्ताव किया हैं… हमारे पति देश की रक्षा के लिए शहीद हुए, हमें भी गोली मार दीजिए… इस तरह बदसलूकी तो मत कीजिए…जाहिर है…इंसाफ की मांग को लेकर ये वीरांगनाएं पिछले सात दिन से सड़कों पर सूबे के नेताओं के चक्कर लगा रही है…लेकिन इनकी सुनवाई नहीं हो रही…इन वीरांगनाओं को इंसाफ दिलाने के लिए सांसद डा. किरोड़ी लाल मीणा भी नेताओं के चक्कर लगाकर थक चुके हैं…और अब ये वीरांगनाएं भी थक कर पायलट के बंगले पहुंच गई…अब वक्त का तकाजा देखिए…चूंकि मौका था…तो राजस्थान में सियासत का विमान उड़ाने वाले पायलट को भी आज इनके साथ जमीन पर बैठना पड़ा…महिलाओं से समझाइश की…और फिर बंद कमरे में भी उनसे बात की…गर्मी का मौसम है…तो पानी के लिए भी पूछा…लेकिन जनाब…सियासत और हकीकत में कितना फर्क होता है…ये भी सभी जानते हैं…दरअसल यहां पायलट ने सीधे तौर पर गहलोत सरकार को निशाने पर ले लिया…बकौल पायलट…जिन लोगों ने देश के लिए शहादत दी है। सारी सीमांए लांघकर उनकी मांगों को पूरा करना पड़ेगा। इनसे किए जो वादे पूरे नहीं हुए। उन्हें हर हाल में पूरा किया जाना चाहिए। सरकार चाहे केंद्र की हो या राज्य की, मांगें पूरी करें। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि जिस प्रकार इनके साथ पुलिस ने व्यवहार किया, वह निंदनीय है…वाकई…जनाब…जो भी हो रहा है वो ठीक तो नहीं…क्योंकि कहने वाले तो ये भी कहते हैं कि सरकार जो चाहे वो कर सकती है…और इनकी मांगों को पूरा भी किया जा सकता है…लेकिन इसके पीछे की कहानी क्या है…इन वीरांगनाओं को धरना देने के लिए मजबूर क्यों होना पड़ रहा है…सिविल लाइंस में बैठी सरकार के दरवाजों को क्यों खटखटाना पड़ रहा है…कहीं ऐसा तो नहीं कि इसके पीछे भी कोई सियासी कहानी तैयार हो रही हो…लेकिन फिर सवाल ये भी कि…आखिर उस स्क्रिप्ट के किरदार कौन हैं…बहरहाल…अब बात पायलट तलक भी जा पहुंची है…और वो इन वीरांगनाओं से मुखाबित भी हो लिए…तो क्या माना जाए कि अब इन वीरांगनाओं को इंसाफ के लिए भटकने की जरूरत नहीं होगी…क्या यहां पायलट अपना विमान उड़ा पाएंगे…लेकिन सवाल तो ये भी है कि बड़े साहब इनके इस सियासी विमान को रनवे पर उतरने भी देंगे या नहीं…
- Post By Team Fact India