
The Fact India : अभी तक आपने मैदान में, दफ़्तर में सड़क पर या फिर किसी सरकारी जगह पर लोगों को भूख हड़ताल करते देखा होगा पर क्या कभी किसी कैदी को जेल में भूक हड़ताल करते देखा है?जी हाँ, दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का प्रमुख यासीन मलिक (Yasin Malik) इन दिनों भूख हड़ताल पर है, यासीन मलिक का कहना है कि उसपर जो मामला विचाराधीन चल रहा है, उसकी सही तरीके से जांच नहीं की जा रही है. इसके चलते वह बीते शुक्रवार से भूख हड़ताल पर है. हालांकि इस दौरान जेल के वरिष्ठ अधिकारी भी उससे मुलाकात करने पहुंचे और भूख हड़ताल खत्म करने को कहा लेकिन यासीन मलिक ने इनकार कर दिया. यासीन मलिक इन दिनों तिहाड़ जेल के कारागार संख्या-7 में बंद है. प्रतिबंधित जेकेएलएफ के सरगना यासीन मलिक ने 13 जुलाई को यहां एक सीबीआई अदालत से कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में प्रत्यक्ष रूप से पेश होकर गवाहों से खुद जिरह करना चाहता है.
उसने कहा कि इसकी अनुमति नहीं मिलने पर वह भूख हड़ताल करेगा. अधिकारियों ने यह जानकारी दी थी. अधिकारियों ने बताया था कि मलिक ने अदालत से कहा कि वह 22 जुलाई तक सरकार के जवाब का इंतजार कर रहा है और अनुमति न मिलने पर वह अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करेगा. बीते 15 जुलाई को अपहरण मामले में रुबैया सईद ने सीबीआई की स्पेशल अदालत में यासीन मलिक और तीन अन्य की पहचान अपने अपहरणकर्ताओं के रूप में की थी. मई में दिल्ली स्थित विशेष एनआईए अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद से जेकेएलएफ सरगना उच्च सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल में बंद है.
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यासीन मलिक पर हैं गंभीर आरोप
यासीन मलिक (Yasin Malik) पर 1990 में एयरफोर्स के 4 जवानों की हत्या जैसे आरोप लगे थे. वायुसेना के जवानों पर यह हमला 25 जनवरी 1990 को हुआ था. तब ये जवान श्रीनगर में एयरपोर्ट जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे थे. इस हमले में स्कवॉड्रन लीडर रवि खन्ना समेत चार जवान शहीद हो गए थे. जबकि 40 लोग जख्मी हुए थे.
उसे 2017 के आतंकी वित्तपोषण मामले के सिलसिले में 2019 की शुरुआत में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा गिरफ्तार किया गया था. वर्तमान मामला आठ दिसंबर, 1989 को जेकेएलएफ द्वारा रुबिया सईद का अपहरण किए जाने से संबंधित है. भारतीय जनता पार्टी समर्थित तत्कालीन वी. पी. सिंह सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जकेएलएफ) के पांच आतंकवादियों को रिहा किए जाने के बाद 13 दिसंबर को अपहर्ताओं ने रुबिया को मुक्त कर दिया था. यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था और मलिक को 2019 में एनआईए द्वारा पकड़े जाने के बाद यह मामला पुनर्जीवित हो गया था.
मई में मिली उम्रकैद की सजा
यासीन मलिक (Yasin Malik) जम्मू-कश्मीर में 1990 के दशक में हुई अलगाववादी हिंसा के प्रमुख सूत्रधारों में से एक था. वह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का चेयरमैन है. मई 2022 में यासीन मलिक को आपराधिक षडयंत्र रचने और राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने से जुड़े मामलों में दोषी ठहराया गया और अभी वो उम्रकैद की सजा काट रहा है.
अदालत में सुनवाई के दौरान यासीन मलिक ने यूएपीए के तहत उस पर लगाए गए अधिकांश आरोपों को मान लिया था. यासीन मलिक ने कोर्ट में कहा था कि वह यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने), व 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व 124-ए (देशद्रोह) के आरोपों को चुनौती नहीं देगा.
हमारा उद्देश्य किसी भी आतंकवाद या आतंकवादी गतिविधि को बढ़ावा देना नहीं है पर क्या सच में जेल में बैठा एक कैदी हमें शांति का पाठ नहीं पढ़ा रहा? जहां एक तरफ हम सरकार के विरोध में क्या हमारी मांगे पूरी ना होने पर ट्रेनें बसें और शहर जला देते हैं और वहीं पर उम्र कैद की सजा काट रहा एक कैदी जो कि शुरू से आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ा रहा होगा, वह भूख हड़ताल पर बैठ कर अपनी मांगे पूरी कराने की कोशिश कर रहा है।
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