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बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से पूर्व सांसद और पूर्व राज्य मंत्री हरीश चौधरी को लोकसभा चुनाव को लेकर पंजाब कांग्रेस का विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है. मारवाड़ की राजनीति खासकर बाड़मेर जैसलमेर में चाणक्य कहे जाते हैं. इससे पहले 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान भी वो पंजाब के पर्यवेक्षक रहे थे. लगातार दो बार से बायतु विधानसभा सीट से विधायक चुने जा चुके हरीश चौधरीर गहलोत सरकार में राजस्व मंत्री रहे हैं और कांग्रेस संगठन में वे वर्तमान में राष्ट्रीय सचिव पद पर है और सीडब्ल्यूसी यानी कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य है.
आपको बता दें कि, वर्ष 2017 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई के बीच उपजे सियासी संकट के बाद कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें पंजाब और चंडीगढ़ कांग्रेस संगठन का पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया था. हरीश चौधरी पंजाब में छिड़े सियासी संकट के बीच कांग्रेस के लिए संकट मोचन के रूप में उभर कर सामने आएं और सुनील जाखड़ को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. पंजाब-चंडीगढ़ में संगठन के पर्यवेक्षक के तौर पर भेजे गए हरीश चौधरी के नेतृत्व में चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का नया मुख्यमंत्री बनाया गया, इसके बाद हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में हरीश चौधरी को पंजाब कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया था इसी के चलते एक व्यक्ति एक पद की पॉलिसी के तहत उन्हें राजस्थान सरकार में मंत्री के पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था।
लोकसभा चुनाव 2024 में बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के चयन से लेकर चुनाव प्रचार तक की जिम्मेदारी अकेले हरीश चौधरी के कंधों पर थी. उन्होंने ही हनुमान बेनीवाल के साथ गठबंधन को लेकर बाड़मेर जैसलमेर सेट आरएलपी को देने का विरोध किया था. वह हरीश चौधरी ही थे, जिन्होंने पूर्व आरएलपी नेता और मौजूदा कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेदाराम को कांग्रेस के पाले में लाने में बड़ी भूमिका निभाई. अंदर ही अंदर उम्मेदाराम बेनीवाल को तोड़ने में बड़ी भूमिका उन्हीं की थी. उन्होंने ही स्थानीय संगठन में सहमति बनाकर उन्हें बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बनाने में पूरी रणनीति बनाई. बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से इस बार जबरदस्त त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला था. इसलिए चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेदा राम बेनीवाल से ज्यादा हरीश चौधरी विरोधियों के निशाने पर थे. निर्दलीय रविंद्र सिंह भाटी खुलकर हरीश चौधरी के सामने मोर्चा खोल रिफाइनरी से लेकर कई मुद्दों को लेकर हरीश चौधरी पर बड़े आरोप लगाए थे. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि इस बार का चुनाव हरीश चौधरी के लिए उनकी राजनीतिक साख चुनाव था. इसी के चलते सबसे वोट बैंक जाट समाज को कांग्रेस के पक्ष में एकजुट करने से लेकर विरोधियों पर हमला बोलने और रूठों को मनाने कमान संभाल रखी थी.