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Vote / Poll

BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?

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अब जनता कांग्रेस-भाजपा से परेशान हो चुकी है
30%
'आप' की वजह से कांग्रेस और भाजपा में चिंता है
9%
केजरीवाल राजस्थान में कामयाब नहीं हो पाएंगे
90%
राजस्थान में भी 'आप' की सरकार बननी चाहिए
70%
Total count : 138

Vote / Poll

डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?

अजय सिंह किलक
56%
शिव देशवाल
26%
अन्य
18%
Total count : 7524

Vote / Poll

कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?

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सिद्देरमैया
67%
डीके शिवकुमार
13%
मल्लिकार्जुन खड़गे
13%
बता नहीं सकते
7%
Total count : 15

Vote / Poll

फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?

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समुदाय विशेष को टारगेट करना
33%
राजनीतिक लाभ लेने के लिए
11%
फिल्मों को हिट करने के लिए
44%
कुछ बता नहीं सकते
11%
Total count : 9

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जीएसटी पर भाजपा का खेल, अफसरशाह से मंत्री बने हरदीप पुरी अब शब्दों से भी खेलने लगे हैं

जब अफसरशाह को राजनीति का शौक लग जाए तो फिर कहना ही क्या ? कुछ ऐसा ही इन दिनों देश के पेट्रोलियम मंत्रालय में चल रहा है | आजकल केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी समय समय पर शगूफे छोड़ते रहते हैं। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी के दायरे में लाने के लिए तैयार है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि राज्य सरकारें इसके लिए तैयार होती हैं तो ऐसा किया जा सकता है, केंद्र को कोई दिक्कत नहीं है।

उनको पता है कि राज्य सरकारें तैयार नहीं होंगी, क्योंकि जीएसटी लागू होने के बाद सारे करों की वसूली का अधिकार केंद्र सरकार को मिल गया है। सिर्फ पेट्रोलियम उत्पाद और आबकारी कर लगाने का अधिकार राज्यों के पास है। उसमें भी पेट्रोलियम से सबसे ज्यादा कर मिलता है। सो, कोई राज्य सरकार इसके लिए तैयार नहीं होगी।

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यह बात हरदीप पुरी को पता है इसलिए उन्होंने लोगों की आंख में धूल झोंकने के लिए कह दिया कि राज्य चाहें तो पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में लाया जा सकता है। हकीकत यह है कि केंद्र कभी इसके लिए तैयार नहीं होगा | केंद्र को भारी भरकम उत्पाद शुल्क से हर साल तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व मिलता है। अगर सरकार सचमुच तैयार होती तो इसके लागू होने में जरा सी भी देरी नहीं होती।

अगर केंद्र चाहे तो वह इसके लिए पहल कर सकता है। उसके हाथ में सब कुछ है। जीएसटी कौंसिल में वोटिंग की नौबत आएगी तब भी केंद्र का पलड़ा भारी होगा क्योंकि उसके पास वोटिंग का अहम अधिकार है और साथ ही ज्यादातर राज्यों में भाजपा या उसके प्रत्यक्ष व परोक्ष सहयोगियों की सरकारें हैं। इससे पहले जितने भी टैक्स लगे हैं या टैक्स की दरें बढ़ाई गई हैं उनमें से ज्यादातर की पहल केंद्र ने ही की है लेकिन पेट्रोलियम के मामले में केंद्र सरकार राज्यों के नाम पर खेल रही है।

डॉ. प्रदीप चतुर्वेदी

[ये लेखक के अपने विचार है]

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