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राजस्थान की बाड़मेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के सामने आखिर रविंद्र सिंह भाटी दीवार बनकर खड़े हो ही गए। वहीं बीजेपी का डैमेज कंट्रोल प्लान पूरी तरह फेल साबित हो गया।
शिव विधानसभा से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने मंगलवार को चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। इस घोषणा के बाद बीजेपी के राजस्थान मिशन 25 को करारा झटका लगा है। भाटी ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक में चर्चा करने के बाद यह बड़ी घोषणा की है। रविंद्र सिंह भाटी अब 4 अप्रैल को निर्दलीय नामांकन भरेंगे। भाटी की घोषणा के बाद राजस्थान की सियासत में भूचाल आ गया है। इधर, सियासी चर्चा है कि भाटी के चुनाव लड़ने से बीजेपी को नुकसान होने की आशंका है।
चुनाव को लेकर भाटी ने बीते दिनों दिनों देव दर्शन यात्रा भी निकाली। इसमें जनता ने उन्हें चुनाव लड़ने को कहा। हालांकि, बीजेपी ने इसको लेकर डैमेज कंट्रोल करने की भी कोशिश की। लेकिन भाटी के साथ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की वार्ता विफल रही। मंगलवार को बाड़मेर में सर्व दलीय बैठक में लोगों ने भाटी के चुनाव लड़ने के लिए जोर दिया। बैठक में रविंद्र सिंह भाटी के समर्थकों, युवाओं और लोगों में उनके चुनाव लड़ने को लेकर जमकर उत्साह देखने को मिला। इसी से प्रेरित होकर भाटी ने चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
रविंद्र भाटी के चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ उनके समर्थकों में जमकर उत्साह देखने को मिला। समर्थकों ने हाथ खड़े किए और कहा 'हम भी रविंद्र सिंह है। इसके साथ ही रविंद्र दिल्ली जाएगा के नारे लगने लगे। भाटी ने फिर समर्थकों से पूछा कि सभी तैयार हो, आपका मन क्या है चुनाव लड़ें... क्योंकि मेरी गाड़ी में रिवर्स नाम का गियर नहीं है। मैं 26 का हूं और इस लड़के को जो मिलना चाहिए उससे दोगुना मिल चुका है। भाटी ने कहा, आप सब से निवेदन है कि आने वाले दौर में कई कठिनाइयां आएगी। उन सबसे लड़ने के लिए आपका भाई तैयार है। मैं केवल उसी शर्त पर लड़ूंगा कि आप अनुसाशन के साथ 36 कोम की भावना को साथ लेकर चलेंगे। मैं तो लड़का हूं लड़ने के लिए तैयार हूं। क्या आप तैयार हो...
रविंद्र सिंह भाटी की बीजेपी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ मुलाकात हुई। इसके बाद माना जा रहा था कि बीजेपी भाटी को मना लेगी। सियासी चर्चा है कि शिव विधानसभा के लिए हैंडपंप स्वीकृति के एक लेटर ने बीजेपी के इस खेल को बिगाड़ दिया।
दरअसल, इस लैटर में सरकार ने रविंद्र सिंह भाटी की सिफारिश पर केवल दो हैंडपंप स्वीकृत किए। इसके बाद रविंद्र सिंह भाटी को अपने आत्म सम्मान में ठेस महसूस हुई। इसके चलते ही भाटी के समर्थकों ने उन्हें चुनाव लड़ने पर मजबूर कर दिया।