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राजस्थान की बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय संघर्ष होने से मुकाबला रोचक होता जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी से बागी हुए रविंद्र सिंह भाटी द्वारा चुनाव लड़ने का ऐलान करने के बाद बालोतरा से अपनी जन आशीर्वाद यात्रा का आगाज कर चुके हैं, जिसका युवाओ में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. वहीं दूसरी ओर भाजपा रूठो को मनाने में जुटी गई है. बीजेपी मिशन -25 के अपने मंसूबे में कामयाब हो सके. इसी बीच बुधवार यानि आज बीजेपी से बागी और बाड़मेर की निर्दलीय विधायक डॉ. प्रियंका चौधरी के समर्थकों ने मीटिंग बुलाई. इसमें बाड़मेर-जैसलमेर से सांसद और भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी कैलाश चौधरी और निर्दलीय विधायक प्रियंका चौधरी भी शामिल हुए . काफी लंबी चली मीटिंग में वाद-विवाद के बीच चर्चाएं हैं कि दोनों में काफी हद तक समर्थन को लेकर सहमति बन चुकी है. लेकिन, आधिकारिक रूप से किसी ने भी मीडिया के सामने कुछ नहीं कहा.
निर्दलीय विधायक प्रियंका चौधरी के समर्थन देने के सवाल पर कैलाश चौधरी ने इतना ही कहा कि निश्चित रूप से परिवार का सदस्य साथ आता है तो मजबूती मिलती है. मजबूती से चुनाव लड़ेंगे और मोदी जी को मजबूत करेंगे. हालांकि, रविंद्रसिंह भाटी को मनाने के सवाल पर कैलाश चौधरी ने टालमटोल जवाब दिया.वही पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने डॉ. प्रियंका चौधरी की टिकट काट दी थी. इसी से नाराज होकर प्रियंका चौधरी ने बाड़मेर विधानसभा से निर्दलीय ताल ठोक दी थी और बीजेपी की जमानत जब्त करवाते हुए डॉ. प्रियंका चौधरी ने निर्दलीय चुनाव जीत लिया था. डॉ. प्रियंका चौधरी के समर्थकों का मानना था कि केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने ही प्रियंका चौधरी की टिकट कटवाई थी. वही शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्रसिंह भाटी के चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद बाड़मेर -जैसलमेर लोकसभा सीट सबसे चर्चित सीट बन गई है. यहां कांग्रेस ने आरएलपी से आए उम्मेदाराम बेनीवाल को अपना उम्मीदवार घोषित किया है तो बीजेपी ने केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी को दोबारा इस सीट पर अपना प्रत्याशी बनाया है. दिल्ली में बैठे बीजेपी-कांग्रेस के नेताओं की इस सीट पर सबसे ज्यादा नजर है. हालांकि, बीजेपी से बागी और शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्रसिंह भाटी की यात्रा में उमड़ रही भीड़ ने बीजेपी-कांग्रेस दोनों प्रमुख पार्टियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. अब तीनों प्रत्याशी लगातार प्रचार-प्रसार के लिए रैलियां और सभाओं के लिए प्लानिंग कर रहे हैं. लेकिन, इस चुनाव में कौन किस पर भारी पड़ता है. ये आने वाला वक्त ही बताएगा.