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इन दिनों राजस्थान की राजनीति में जिस चेहरे की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वो नाम हैं रविंद्र सिंह भाटी का. भाटी बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट के निर्दलीय विधायक हैं. छात्र संघ चुनाव जीतने के बाद पिछले साल रविंद्र निर्दलीय विधायक बने और अब लोकसभा चुनाव में भी बाड़मेर से निर्दलीय दावेदारी ठोक रहे हैं. गुरुवार को रविंद्र भाटी की नामांकन रैली हुई. इस रैली में इतने लोग जुटे जितने राजनीति के बड़े-बड़े पुराधाओं की रैली में भी नहीं जुटते हैं. भाटी की नामांकन रैली की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. जिसे देखकर विरोधियों के होश उड़े हैं. बाड़मेर लोकसभा सीट में राजस्थान की बाड़मेर, बालोतरा और जैसलमेर जिले का एरिया आता है. यहां से इस समय भाजपा के कैलाश चौधरी सांसद हैं. विरोध के बाद भी भाजपा ने कैलाश को लोकसभा चुनाव का टिकट दिया है. दूसरी ओर कांग्रेस ने आरएलपी से आए उम्मेदा राम को टिकट दिया है. लेकिन दोनों पुराने नेताओं की लड़ाई को 26 साल के रविंद्र भाटी ने त्रिकोणीय बना दिया है. अगर नामाकंन रैली में जुटी भीड़ को एक पैमाना माना जाए तो इस पैमाने में भाटी आगे नजर आते हैं. हालांकि रैली की भीड़ वोट में तब्दील होगी या नहीं इसपर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा. क्योंकि भाजपा-कांग्रेस की सीधी टक्कर वाली बाड़मेर सीट पर दोनों दलों ने मंझे हुए नेताओं को चुनावी रण में उतारा है. बाड़मेर जैसलमेर बालोतरा लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी ने बुधवार को नामांकन सभा और रैली में भारी भीड़ जुटा कर बड़ा शक्ति प्रदर्शन कर दिया है.
रविंद्र सिंह भाटी ने इस नामांकन सभा के दौरान कांग्रेस के नेताओं द्वारा लगातार उनके ऊपर किया जा रहे हमलो को लेकर पलटवार करते हुए कहा कि वे लोग खुद के गिरेबान में झांक कर देखे और फिर दूसरों पर आरोप लगाए वे लोग लंबे समय से सत्ता में है उन लोगों ने इस क्षेत्र के लोगों के लिए क्या काम किया.वही प्रदेश में भाजपा लगातार 2 बार से 25 सीटें जीत रही हैं, लेकिन इस बार बाड़मेर जैसलमेर सीट पर पेंच फंस गया है.गृह मंत्री अमित शाह ने जोधपुर में सीएम भजनलाल समेत अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठक ली थी.जिसमें शाह को इस सीट को लेकर निगेटिव फीडबैक मिला. जिसके बाद अमित शाह ने राजस्थान चुनाव प्रभारी डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने मंगलवार को बाड़मेर में प्रत्याशी की गैर मौजूदगी में एक-एक विधायक, जिलाध्यक्ष व मोर्चों के जिलाध्यक्ष, संगठन महामंत्री व पदाधिकारियों से बात करके वर्तमान स्थिति की जानकारी लेकर नाराज हुए और कहा कि हर हाल में बाड़मेर सीट पर जीत चाहिए.कैलाश चौधरी को पिछले चुनाव में जाट होने का फायदा मिला था,क्योंकि इस संसदीय सीट पर 4.5 लाख के करीब जाट मतदाता है. लेकिन कैलाश चौधरी सामजिक स्तर पर भी खासा कुछ कर नहीं पाए. वहीं कांग्रेस ने भी जाट चेहरे पर दाव खेला है और वही जाटमत दाताओं पर आधारित पार्टी RLP भी इस बार कांग्रेस के साथ है.
भाजपा के कोर वोटर्स का इस बार काफी बिखराव देखने को भी मिलेगा. भाजपा के कोर वोटर्स की लिस्ट में सबसे पहले आते है क्षत्रिय वोटर्स,फिर मूल ओबीसी आते है. लेकिन इस बार रविंद्र सिंह भाटी के निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने के बाद माना जा रहा है कि राजपूत वोटर्स रविंद्र को एक तरफा वोटिंग करेंगे. वहीं शिव में जब रविंद्र जीते तब भी मूल ओबीसी मतदाता उनकी जीत का आधार रहे थे जो इस बार भी उन्हें वोट करेंगे.वही कैलाश चौधरी के प्रति जैसलमेर के लोगों में कुछ अधिक नाराजगी देखने को मिल रही है, जिसका सबसे बड़ा कारण पिछले सालों में अधिकतर ट्रेन का जैसलमेर से बाड़मेर शिफ्ट हो जाना है. हालांकि राम मंदिर का मुद्दा इन सब मुद्दों पर हावी था. लेकिन रविंद्र सिंह भाटी के रूप में तीसरा विकल्प मिलने के कारण लोग शिफ्ट हो रहे है वही एक लहर चल रही है कि रविंद्र भी राष्ट्रवादी है और अंत में रविंद्र भी मोदी को ही वोट करेगा.इतना ही नहीं बीजेपी के प्रत्याशी कैलाश चौधरी स्वयं भी एक कार्यक्रम में मान चुके हैं कि उनके खिलाफ माहौल चल रहा है. जिसके चलते उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए यह तक कहा डाला कि उनकी गलती की सजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ना दे चेहरा नरेंद्र मोदी व कमल का फूल है.