
The Fact India: पंजाब विधानसभा का चुनाव अब बेहद ही दिलचस्प मोड़ पर आ पहुंचा है. कांग्रेस अंदरूनी घमासान के साथ अब सियासी अखाड़े में पूरी तरह उतर चुकी है. तो बीजेपी के साथ रही अकाली दल ने साथ छोड़कर बीएसपी का दामन थामा है. वहीं कांग्रेस से पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह ने अपनी अलग पार्टी बनाकर बीजेपी गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं. आम आदमी पार्टी अकेली मैदान में है. कुछ सीटें ऐसी हैं जहां पर मुकाबदला कांटे का है. ऐसी ही एक सीट है अमृतसर ईस्ट (Amritsar East). इस सीट की कहानी इसलिए भी दिलचस्प हो जाती है क्योंकि यहां दोस्ती है. फिर अदावत और अब सीधी भिड़ंत.
चलिए आपको इस सीट की पूरी कहानी बताएं उससे पहले जान लेते हैं की आखिर किस पार्टी से कौन किसे चुनौती दे रहा है.
2022 में अमृतसर ईस्ट सीट (Amritsar East) से प्रत्याशी
नवजोत सिंह सिद्धू, कांग्रेस
बिक्रम सिंह मजीठिया, अकाली दल
जीवनजोत कौर, AAP
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दोस्त से दुश्मन बने कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया अमृतसर ईस्ट सीट में आमने-सामने हैं. अकाली दल ने पार्टी के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ अमृतसर पूर्व सीट से चुनाव मैदान में उतारा है… बिक्रम सिंह मजीठिया और नवजोत सिंह सिद्धू कभी गहरे दोस्त हुआ करते थे. आज वे राजनीतिक दुश्मन हैं…. इस सीट पर दोनों के बीच ‘करो या मरो’ की लड़ाई देखने को मिलेगी.
2017 में, क्रिकेटर से राजनेता बने, सिद्धू न केवल अपने भाजपा प्रतिद्वंद्वी राजेश हनी को 42,000 से अधिक मतों के बड़े अंतर से हराया, बल्कि अमृतसर जिले की 11 में से 10 सीटें जीतकर पार्टी के लिए गेम-चेंजर की भूमिका भी निभाई. अमृतसर कभी अकाली दल और बीजेपी गठबंधन का गढ़ हुआ करता था.
पंजाब की सबसे हॉट सीट बनी अमृतसर ईस्ट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. 2002 और 2007 में यहां से कांग्रेस जीती.. इसके बाद 2012 में नवजोत सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने अकाली-भाजपा कैंडिडेट के तौर पर यहां से चुनाव जीता. उन्हें 33 हजार 406 वोट मिले थे. उन्होंने निर्दलीय सिमरप्रीत कौर को 7 हजार 99 वोटों से हराया था. इसके बाद सिद्धू दंपति भाजपा छोड़ कांग्रेस में आ गए. 2017 का चुनाव नवजोत सिद्धू ने लड़ा और विजयी रहे.
कुलमिलाकर अब बिक्रम मजीठिया का मुकाबले में उतरना नवजोत सिद्धू के लिए बड़ा खतरा है. सिद्धू सिर्फ इसी अमृतसर ईस्ट से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं मजीठिया अपनी पुरानी सीट मजीठा से भी चुनाव लड़ेंगे. सिद्धू हारे तो उनके सियासी जीवन के लिए बड़ा संकट होगा. और मुख्यमंत्री बनाने का सपना चकना चूर हो सकता है. सिद्धू लगातार CM चेहरे के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं. अगर उन्हें किसी तरह से हार मिली तो उनका यह दावा भी खत्म हो जाएगा.

Anish Shekhar– Content Producer Cum Content Editor / Reporter
(Post Graduation– Haridev Joshi University of Journalism & Mass Communication)