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Vote / Poll

BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?

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अब जनता कांग्रेस-भाजपा से परेशान हो चुकी है
30%
'आप' की वजह से कांग्रेस और भाजपा में चिंता है
10%
केजरीवाल राजस्थान में कामयाब नहीं हो पाएंगे
90%
राजस्थान में भी 'आप' की सरकार बननी चाहिए
70%
Total count : 138

Vote / Poll

डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?

अजय सिंह किलक
56%
शिव देशवाल
26%
अन्य
18%
Total count : 7524

Vote / Poll

कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?

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सिद्देरमैया
67%
डीके शिवकुमार
13%
मल्लिकार्जुन खड़गे
13%
बता नहीं सकते
7%
Total count : 15

Vote / Poll

फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?

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समुदाय विशेष को टारगेट करना
33%
राजनीतिक लाभ लेने के लिए
11%
फिल्मों को हिट करने के लिए
44%
कुछ बता नहीं सकते
11%
Total count : 9

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अपने संकटमोचकों को संकट से नहीं उबार पाए अशोक गहलोत

अपने संकटमोचकों को संकट से नहीं उबार पाए अशोक गहलोत
Manish Gaur
October 30, 2023

जब राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार संकट में आ गई थी तब 40 दिन तक कई विधायक होटल में रहे। उन संकट के साथियों का साथ देने का वादा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था। चुनाव के दौरान राजस्थान में कई सीटों पर उन्होंने अपना यह वादा निभाया भी है।

 

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए जोधपुर में अब तक जारी हुए चार टिकट में 2 सीट पर यह वादा निभाया गया है, लेकिन तीन विधायक अब भी ऐसे हैं जिनको संकट से नहीं उबार पाए हैं। इसका बड़ा कारण है धरातल पर हुए उनके सर्वे। सर्वे में कई नेताओं की स्थिति कमजोर है, ऐसे में इन सीटों पर कांग्रेस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। यही कारण है कि संकट अभी टला नहीं है।

 

लोहावट: किसनाराम बिश्नोई किसनाराम बिश्नोई पहली बार 2018 में ही चुनावी मैदान में उतरे और भाजपा के दिग्गज नेता और तत्कालीन मंत्री गजेंद्र सिह खींवसर को 40867 वोट से हराकर विधानसभा पहुंचे। लेकिन स्थानीय स्तर पर उनके खिलाफ एंटीइनकमबेंसी सामने आती गई। हालांकि गहलोत के प्रति वह अपनी वफादारी हर बार साबित करते रहे। इस बार ग्राउंड सर्वे हुआ तो उसमें उनकी स्थिति कमजोर पाई गई। यही कारण है कि कांग्रेस की दो सूचियों में भी उनका नाम नहीं आया। हालांकि अब इस सीट पर जातिगत समीकरण बदले जाने की भी चर्चा है।

 

शेरगढ़: मीना कंवर यह सीट सालों तक भाजपा का गढ़ रही। लगातार तीन बार बाबू सिंह राठौड़ यहां से जीते। 2018 में पहली बार मीना कंवर इस सीट पर उतरीं और 24696 वोट से जीत दर्ज की। हालांकि इससे पहले दो बार उनके पति उम्मेद सिंह इस सीट पर हार चुके थे। मीना कंवर व उनके पति उम्मेद सिंह ने भी संकट के समय सीएम गहलोत का साथ दिया। इसका जिक्र कई बार सीएम खुद करते रहे हैं। यहां किसी भी स्थिति में जातिगत समीकरण नहीं बदलेंगे, इसके बावजूद अब तक टिकट रोके रखा है। इसका कारण ग्राउंड सर्वे में स्थिति कमजोर होना बताया जा रहा है।

 

बिलाड़ा: हीराराम मेघवाल एससी वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर कांग्रेस और भाजपा दोनों के ही पास ज्यादा विकल्प नहीं है। भाजपा यहां अपने पत्ते खोल चुकी है और एक बार फिर अर्जुनलाल गर्ग को पहली सूची में ही मैदान में उतार दिया। कांग्रेस से वर्तमान विधायक हीराराम मेघवाल को अब तक इंतजार है। जबकि संकट के साथियों की सूची में वे भी शामिल थे। ऐसे में उनको उम्मीद थी कि सीएम साथ देंगे। ऐसा नहीं है कि सीएम इन साथियों को भूलना चाहते हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार आलाकमान के मापदंडों पर ये फिलहाल ये फिट नहीं बैठ रहे।

 

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