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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को 10 साल की सजा, जानिए पूरा मामला
पाकिस्तान की अदालत ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गोपनीयता उल्लंघन मामले में 10 साल की सजा सुनाई. साथ ही पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को भी स्टेट सीक्रेट लीक करने के मामले में दस साल की सजा सुनाई गई है. इमरान खान की पार्टी की ओर से यह जानकारी दी गई है. इमरान खान और अन्य शीर्ष नेता नौ मई की हिंसक घटनाओं और गोपनीय राजनयिक दस्तावेजों के खुलासे को लेकर गोपनीयता अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित मामलों में जेल में बंद हैं और अब ये कैद और लंबी हो गई है.
इमरान खान को डिप्लोमैटिक केबल मामले में दोषी क़रार दिया गया था. 8 फरवरी को पाकिस्तान में आम चुनाव से पहले इमरान खान को ये एक और झटका लगा है. इमरान की सत्ता 2022 में चली गई थी. तब इमरान ने इसे पाक-सेना और अमेरिकी साज़िश बताया था. पाक सेना प्रमुख बाजवा पर भी आरोप लगाए थे.
इमरान खान पर मुक़द्दमा दर्ज कर FIA ने केबल ग़ायब होने का आरोप लगाया था. इस मामले में अब 10 साल की सज़ा. तोशाखाना मामले में इमरान पहले ही दोषी क़रार दिया जा चुका है. इस मामले में तीन साल की सजा मिल चुकी है. इसकी वजह से इमरान 5 साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य हैं. साइफ़र मामले में जल्द ज़मानत मुश्किल है. इससे पहले इमरान की पार्टी पीटीआई का चुनाव चिन्ह छीना जा चुका है. पार्टी का आंतरिक चुनाव न कराने का आरोप लगाया गया है.
इमरान ने इसे उन्हें चुनाव से दूर रखने की साज़िश करार दिया है.
सिफर' मामले का संबंध गोपनीय राजनयिक दस्तावेजों के खुलासे से हैं. इमरान खान ने 27 मार्च, 2022 को एक सार्वजनिक रैली में अमेरिका का नाम लेते हुए दावा किया था कि यह उनकी सरकार को गिराने की एक ‘अंतरराष्ट्रीय साजिश' का सबूत है. पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के वित्तपोषण (फंडिंग) की कई वर्षों की जांच के बाद सर्वसम्मति से घोषणा की कि पार्टी को अगस्त 2003 में ‘निषिद्ध राशि' प्राप्त हुई थी.
इस्लामाबाद में नौ मई, 2023 को अर्द्धसैनिक रेंजर्स द्वारा खान की गिरफ्तारी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. भ्रष्टाचार के एक मामले में खान की गिरफ्तारी के बाद हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन में रावलपिंडी में सेना मुख्यालय सहित 20 से अधिक सैन्य प्रतिष्ठान और राज्य भवन या तो क्षतिग्रस्त कर दिये गए या उनमें आग लगा दी गई. समर्थकों द्वारा नौ मई को की गई हिंसा के बाद पार्टी मुश्किल में पड़ गई. हमले के बाद के दिनों में सैकड़ों दंगाइयों को गिरफ्तार किया गया और उन पर विभिन्न आरोपों में मामले दर्ज किये गये.
पिछली शहबाज शरीफ सरकार का हिस्सा रहे उच्च पदस्थ सूत्रों ने शनिवार को ‘द न्यूज' को बताया कि ईसीपी के फैसले ने उस समय की पीडीएम सरकार को पीटीआई को प्रतिबंधित इकाई घोषित करने के लिए पाकिस्तान की शीर्ष अदालत के समक्ष सवाल उठाने का अवसर प्रदान किया था, लेकिन सरकार ने बाद में उचित समय पर इस मामले को उठाने का विकल्प चुना.