Categories
Vote / Poll
BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?
Vote / Poll
डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?
Vote / Poll
कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?
Vote / Poll
फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?
Recent Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!
Recommended Posts
Featured Posts
कांग्रेस से प्यार लेकिन गहलोत से टकरार, क्या है प्लान ? पढ़िए पूरी स्टोरी
पिछले चार साल से शांत बैठे सचिन पायलट के सब्र का बांध 9 अप्रैल को टूट गया. गहलोत सरकार को आइना दिखाने के लिए उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का सहारा लिया. राजे के कार्यकाल में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच की मांग उन्होंने की और ये भी कहा कि, अगर सरकार जांच नहीं करवाती है तो ऐसा लगेगा जैसे सीएम अशोक गहलोत और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की साठगांठ है. ये कहते हुए पायलट ने अनशन का ऐलान कर दिया.
इसके बाद कांग्रेस में खलबली मच गई. प्रदेश पार्टी प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने तो ये तक कह दिया कि, पायलट को कांफ्रेंस करने से पहले बातचीत करनी चाहिए थी. इसके बाद ये भी बात सामने आई की आलाकमान फिर से बातचीत करेगा और पायलट अनशन नहीं करेंगे. अब सबकी नजर पायलट पर थी. पायलट के इस मुद्दे से जनता का खूब साथ मिला. बड़ी संख्या में उनके समर्थक अनशन स्थन शहीद स्मारक पर पहुंचने लगे. लेकिन पायलट के आने पर संशय था. संभावना थी कि, अगर पायलट अनशन करते हैं तो पार्टी विरोधी बताया जाएगा और अगर नहीं करते तो जनता का भरोसा टूट जाएगा. पायलट ने जनता की सुनी और अनशन किया. इसके बाद उनके अनशन को पार्टी विरोधी बताया गया. कांग्रेस के ही नेताओं ने कार्रवाई करने की मांग की. पायलट दिल्ली गए. बड़े नेताओं को आलाकमान ने जांच करके रिपोर्ट सौंपने को कहा. जहां पायलट पर जांच चल रही थी तब पायलट जनाधार जुटाने में लग गए. क्योंकि, अनशन में मिले समर्थन से उन्हें लग गया कि, जनता की ताकत आलाकमान से भी ज्यादा है. इसके बाद कई कार्यक्रम किए. पायलट जहां भी जा रहे हैं जनता का बड़ा हुजूम उन्हें देखने के लिए उमड़ पड़ता है. खासकर युवा पायलट का भरपूर साथ दे रहे हैं और अब तो ये आवाज भी सुनाई देने लगी हैं कि, राजस्थान की पुकार अबकी बार पायलट सरकार. जनता के बीच जाकर पायलट का कॉन्फिडेंस बढ़ा है.
पायलट के बयानों से स्पष्ट है कांग्रेस से तो उन्हें प्यार है लेकिन अशोक गहलोत से टकरार है. जनता ने तो गहलोत की जगह पायलट को जननायक कहना भी चालू कर दिया है और तो औऱ कांग्रेस के ही नेता विधायक ये कहते हुए नजर आने लगे हैं कि, पायलट को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए. और तो और हनुमान बेनीवाल और अरविंद केजरीवाल की भी नजर पायलट पर है. यही वजह है कि, पायलट को पार्टी से अलग करने की या फिर उनपर कार्रवाई करने की आलाकमान सोच भी नहीं सकता. जनता का तो सपोर्ट पायलट को मिल ही रहा है. बस आलाकमान को तय करना है कि, आगामी विधानसभा चुनाव किसके चेहरे पर लड़ा जाता है. और अगर जीत होती है तो सीएम कौन होगा. सवाल ये है कि, क्या आलाकमान पायलट को जिम्मेदारी देगा. क्या राजस्थान में अबकी बार बनेगी पायलट सरकार.