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राजस्थान की राजनीति में युवाओं के हित को लेकर एक नई चर्चा उस समय शुरू हुई, जब राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने SI भर्ती परीक्षा में संभावित अनियमितताओं को लेकर सरकार से जवाबदेही की मांग की। उन्होंने जयपुर के शहीद स्मारक पर चल रहे शांतिपूर्ण धरने को संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं का विश्वास परीक्षा व्यवस्था में बहाल किया जाना समय की सबसे बड़ी मांग है।
बेनीवाल ने उठाई युवाओं की चिंता की आवाज़
धरने को संबोधित करते हुए सांसद हनुमान बेनीवाल ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक विरोध के लिए नहीं, बल्कि राजस्थान के लाखों युवाओं की उम्मीदों और अधिकारों की रक्षा के लिए है। उन्होंने शांत और सधे हुए लहजे में कहा:
"SI भर्ती परीक्षा के दौरान सामने आई घटनाएं यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या हमारी चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है? अगर किसी भी स्तर पर अनियमितता हुई है, तो उसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित होनी चाहिए।"
सरकार से पारदर्शिता की अपील
बेनीवाल ने कहा कि राज्य सरकार को इस मामले में जल्द से जल्द स्पष्ट और पारदर्शी स्टैंड लेना चाहिए ताकि युवाओं का विश्वास सरकारी संस्थानों में बना रहे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी जांच का उद्देश्य किसी को बदनाम करना नहीं होना चाहिए, बल्कि सच को सामने लाना और व्यवस्था को सुधारना होना चाहिए।
"हमारी मांग है कि राज्य सरकार युवाओं के साथ संवाद करे, यदि कोई चूक हुई है तो उसे खुले तौर पर स्वीकार कर उसे सुधारने की दिशा में कदम उठाए।"
राजनीतिक नहीं, नैतिक जिम्मेदारी की बात
इस धरने में कोई उग्रता या नकारात्मकता नहीं थी। RLP कार्यकर्ता और प्रदेशभर से आए युवा शांतिपूर्ण ढंग से खड़े थे। हनुमान बेनीवाल ने अपने भाषण में संयम और संवेदना दोनों का परिचय दिया।
उन्होंने कहा:
"यह समय राजनीतिक मतभेद दिखाने का नहीं है, बल्कि एकजुट होकर युवा पीढ़ी के लिए भरोसेमंद भविष्य तैयार करने का है। हम सभी चाहते हैं कि आने वाले समय में कोई छात्र ये न कहे कि मेहनत के बाद भी उसका हक किसी गलत तरीके से चयनित उम्मीदवार को मिला।"
कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को सुझाव के रूप में बात की
अपने वक्तव्य में बेनीवाल ने कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के संबंध में भी संयमित टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें ऐसे मुद्दों को लेकर लंबी दूरी तक साथ खड़े रहना चाहिए। उन्होंने कहा:
"मैं डॉ. मीणा जी का सम्मान करता हूं, लेकिन उम्मीद करता हूं कि जो भी नेता युवाओं की बात करते हैं, वे पूरी लड़ाई में अंत तक साथ निभाएं। केवल शुरुआत करना ही नहीं, बल्कि समाधान तक पहुंचाना भी जरूरी है।"
यह बयान टकराव नहीं, बल्कि सकारात्मक सहयोग का आग्रह था।
धरना नहीं, संवाद की कोशिश
RLP के इस धरने को जनसंवाद के रूप में देखा गया। युवाओं ने पोस्टर, प्लेकार्ड्स और गीतों के माध्यम से अपना पक्ष शांतिपूर्वक रखा। किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या नकारात्मक sloganeering नहीं हुई।
युवाओं के हाथों में स्लोगन थे:
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"मेहनत का सम्मान हो"
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"परीक्षा हो निष्पक्ष, भरोसा हो अटूट"
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"राजस्थान के युवाओं का सपना – पारदर्शी चयन प्रणाली"
रेलवे ट्रैक की चेतावनी नहीं, समाधान की मंशा
हालांकि सांसद बेनीवाल ने रेलवे ट्रैक जाम या दिल्ली कूच जैसे संभावित कदमों की बात की, लेकिन उन्होंने बार-बार ये भी दोहराया कि यह तब तक नहीं होगा जब तक सरकार संवाद और समाधान के लिए तैयार है।
"हम कोई अव्यवस्था नहीं चाहते, लेकिन युवाओं की भावनाओं को अनदेखा भी नहीं कर सकते। समाधान का रास्ता खुला है, सरकार को आगे आकर उस पर चलना होगा।"
RPSC की पुनर्गठन की मांग – संस्थागत सुधार की पहल
बेनीवाल ने RPSC (राजस्थान लोक सेवा आयोग) के कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए, लेकिन किसी विशेष अधिकारी को निशाना बनाने के बजाय संस्थागत सुधार पर बल दिया।
उन्होंने कहा:
"हम मानते हैं कि RPSC जैसी संस्थाएं राज्य की रीढ़ होती हैं। लेकिन जब भी किसी प्रकार की चूक या संदेह की स्थिति बनती है, तो उसमें सुधार लाना ही संस्थान के लिए सबसे अच्छा होता है। पुनर्गठन इसका एक तरीका हो सकता है।"
युवाओं को प्रेरित करने का प्रयास
धरने के अंत में बेनीवाल ने छात्रों को निराश न होने की सलाह दी और कहा कि लोकतंत्र में आवाज उठाना एक अधिकार है, लेकिन संविधानिक और संयमित ढंग से लड़ना ही सही रास्ता है।
"मेरे युवा साथियों, आपको डगमगाना नहीं है। अगर आपकी मेहनत सच्ची है, तो आपको रोकने वाला कोई नहीं होगा। हम आपकी आवाज हैं, और जब तक न्याय नहीं मिलेगा, हम साथ खड़े रहेंगे – पूरे सम्मान और मर्यादा के साथ।"
निष्कर्ष – आंदोलन नहीं, जन-जागरूकता की अलख
हनुमान बेनीवाल का यह धरना एक राजनीतिक मंच से अधिक एक जन-जागरूकता अभियान की तरह सामने आया। इसमें ना कोई विद्वेष था, ना अनावश्यक आरोप-प्रत्यारोप। बस एक सधी हुई मांग – "भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी हो, युवाओं के सपनों से कोई समझौता ना हो।"
