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राजस्थान में विधानसभा चुव की तारीखों का ऐलान होते ही सबकी नजरें टोंक विधानसभा सीट पर जा रुकी हैं. इस सीट से राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ( विधायक हैं. इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) (AIMIM) की नजर भी इस सीट पर बनी हुई है, जिसने कांग्रेस की मुसीबतें बढ़ा दी हैं. ऐसे में भाजपा ने सचिन पायलट को घेरने के लिए तीन गुर्जर नेताओं को चुनावी मैदान में उतार दिया है. बीजेपी का ट्रिपल गुर्जर अटैक प्लानकर्नल किरोड़ी बैंसला के बेटे विजय बैंसला को देवली-उनियारा से प्रत्याशी बनाकर बीजेपी ने साफ संकेत दे दिया है कि 2023 विधानसभा चुनाव में पायलट को गुर्जर कार्ड से ही घेरकर उन्हें टोंक तक ही सीमित कर दिया जाएगा. इससे पहले बीजेपी ने दक्षिण दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी को टोंक जिले का प्रभारी बनाने का ऐलान किया था.
वहीं सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया पहले ही यहां से सांसद हैं. बीजेपी के इस ट्रिपल गुर्जर अटैक प्लान से पायलट की मुसीबतें बढ़ती हुई प्रतीत हो रही हैं.पायलट फैक्टर खत्म करने की कोशिश इस प्लान को समझने के लिए आपको टोंक जिले के सियासी गणित पर नजर दौड़ानी होगी. 4 विधानसभा वाले टोंक जिले में वर्तमान में कुल 11 लाख 2 हजार 585 मतदाता हैं. जाट, गुर्जर, मीणा, अल्पसंख्यक बाहुल्य वाली इन चार सीटों में गुर्जर मतदाताओं की तादाद बहुत ज्यादा है, जो जिले की चारों सीटों को प्रभावित करने की क्षमता रखती है. वर्ष 2013 और वर्ष 2018 में इसका प्रमाण भी देखने को मिला था. टोंक में 35 से 36 हजार गुर्जर मतदाता हैं. देवली-उनियारा में सबसे ज्यादा में 60 से 62 हजार गुर्जर मतदाता हैं. वहीं एससी के लिए रिजर्व निवाई-पीपलू में 40 से 41 हजार गुर्जर मतदाता हैं. तो मालपुरा-टोडारायसिंह में 38 से 40 हजार गुर्जर मतदाता हैं. इस तरह से जिले के कुल 11 लाख 2 हजार 585 मतदाताओं में गुर्जर जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 1 लाख 75 हजार के करीब है जो चारो विधानसभा सीटों के परिणाम पर प्रभाव डालते हैं. ऐसे में भाजपा की रणनीति भी यही है कि सचिन पायलट को टोंक में ही घेरकर राजस्थान की बाकी सीटों पर पायलट फैक्टर को खत्म कर दिया जाए.