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राजस्थान में स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद से मुख्यमंत्री के नामों को लेकर अटकलों का बाजार गरमा गया है। वसुंधरा राजे से लेकर अन्य नेता भी सक्रिय हो गए हैं। भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में किसके नाम पर मुहर लगेगी, वह एक-दो दिन में तय हो जाएगा। इस बीच, मेल-मुलाकातों का दौर तेज हो गया है। वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे के समर्थकों ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने सोमवार और मंगलवार को 70 विधायकों से मुलाकात की है। इन सभी विधायकों ने वसुंधरा के दावे को समर्थन किया है। सूत्रों का कहना है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, दीया कुमारी और बाबा बालकनाथ के नाम भी चर्चा में हैं।
दरअसल, चुनाव नतीजे आने से तीन दिन पहले ही वसुंधऱा सक्रिय हो गई थी। जीतने की संभावना रखने वाले निर्दलीय विधायकों से भी उन्होंने संपर्क साधा था। विधायकों को खुद फोन कर बधाई दे रही थी। इसका ही नतीजा है कि राजस्थान की 200 में से 199 सीटों पर आए नतीजों में भाजपा को 115 सीटें मिली हैं। वहीं, कांग्रेस की 69 सीटों पर जीत हुई है। शेष सीटें अन्य छोटी पार्टियों और निर्दलियों को गई है। चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही राज्य में राजनीतिक गहमागहमी तेज हो गई है।
अन्य दावेदार भी हुए सक्रिय
राजनीतिक विश्लेषक ओम बिरला, बाबा बालक नाथ और दीया कुमारी के नामों को भी मजबूत बता रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह साफ कर दिया है कि जब पार्टी बिना किसी चेहरे के चुनाव में बहुमत हासिल कर सकती है तो उसे राजे की जरूरत नहीं है। इसी वजह से अन्य नामों को भी गंभीरता से लिया जा रहा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने भी सोमवार को कुछ निर्दलीय विधायकों से मुलाकात की है। यह सिलसिला मंगलवार को भी जारी रहेगा।
विधानसभा हुई भंग
राज्यपाल कलराज मिश्र ने 15वीं विधानसभा भंग करने की अधिसूचना जारी कर दी है। अब नए विधायकों से 16वीं विधानसभा का गठन होगा। चुनाव आयोग ने भी राजस्थान समेत पांचों प्रदेशों में लगी आदर्श आचार संहिता को हटा लिया है।