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देश का पहला सोलर मिशन आदित्य एल1 लांच, 125 दिन बाद एल1 प्वाइंट पर पहुंचेगा; 16 दिन पृथ्वी का लगाएगा चक्कर, 378 करोड़ का मिशन
The Fact India: चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद भारत ने अब सूरज की ओर कदम बढ़ा दिया है। शनिवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आदित्य एल1 मिशन लांच किया। शनिवार सुबह 11.50 बजे पीएसएलवी-सी57 के एक्सएल वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से आदित्य एल1 ने अंतरिक्ष की उड़ान भरी। लांचिंग के ठीक 125 दिन बाद यह अपने प्वाइंट एल1 तक पहुंचेगा। इसके बाद आदित्य एल1 बेहद अहम डेटा भेजना शुरू कर देगा।
रॉकेट पीएसएलवी आदित्य को पृथ्वी की निचली कक्षा में छोड़ेगा। करीब 63 मिनट 19 सेकेंड बाद आदित्य पृथ्वी की कक्षा (235 x 19500 किमी) में पहुंच जाएगा। करीब 4 महीने बाद वह लैगरेंज प्वाइंट-1 (एल1) तक पहुंचेगा। इस प्वाइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज पर आसानी से रिसर्च की जा सकती है। इस मिशन की अनुमानित लागत 378 करोड़ रुपये है।
16 दिनों तक आदित्य-एल1 धरती के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। इस दौरान पांच कक्षा से होते हुए गुजरेगा, ताकि सही गति मिल सके। इसके बाद आदित्य-एल1 का ट्रांस-लैरेंजियन1 इंसर्शन होगा। यहां से सूर्ययान की 109 दिन की यात्रा शुरू होगी। इसके बाद आदित्य-एल1 एक ऑर्बिट मैन्यूवर में पहुंचेगा। ये 125 दिन 3 जनवरी 2024 को पूरे होंगे। अगर मिशन सफल रहा और आदित्य स्पेसक्राफ्ट लैग्रेंजियन पॉइंट 1 पर पहुंच गया, तो नए साल में इसरो के नाम ये बड़ी उपलब्धि होगी।
आदित्य एल-1 भारत का पहला सूर्य मिशन है। इसे लांच करके भारत सौर वायुमंडल यानी क्रोमोस्फेयर और कोरोना की गतिशीलता का अध्ययन करना चाहता है। आदित्य-एल1 सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी करेगा। सौर हवाओं के विभाजन और तापमान की स्टडी करेगा। सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास करेगा।
इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक, आदित्य एल1 देश की संस्थाओं की भागीदारी से बनने वाला पूरी तरह स्वदेशी प्रयास है। बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ ने इसके पेलोड बनाए हैं। जबकि इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे ने मिशन के लिए सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजर पेलोड विकसित किया है।