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चांद पर पहुंचा भारत, चंद्रयान-3 के लैंडर की सफल लैंडिंग; दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने वाला हिंदुस्तान दुनिया का पहला देश, राष्ट्रपति-पीएम ने दी बधाई
The Fact India: भारत के लिए 23 अगस्त, 2023 का दिन ऐतिहासिक हो गया है। 41 दिन के सफर के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद के दक्षिण ध्रुव पर सफलतापूर्वक कदम रखा। दक्षिण ध्रुव पर यान चंद्रयान-3 को उतारकर भारत ने इतिहास रच दिया है। इस तरह भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। चंद्रमा के किसी भी हिस्से में यान उतारने वाला भारत चौथा देश बना। इससे पहले अमेरिका, सोवियत संघ और चीन को ही यह कामयाबी मिली है।
चंद्रयान-3 के चांद के सतह पर सफल लैंडिंग से 20 मिनट का समय सांसें थाम देने वाली थी। हालांकि विक्रम लैंडर अपनी सही दिशा में चल रही थी। 5 बजकर 30 मिनट पर शुरुआत में रफ लैंडिंग बेहद कामयाब रही। इसके बाद 5 बजकर 44 मिनट पर लैंडर ने वर्टिकल लैंडिग की। तब उसकी चंद्रमा से दूरी 3 किमी रह गई थी।
आखिरकार लैंडर ने 6 बजकर 04 मिनट पर चांद पर पहला कदम रखा। उसने 20 मिनट में चंद्रमा की अंतिम कक्षा से 25 किमी का सफर पूरा किया। लैंडर को धीरे-धीरे नीचे उतारा गया।
धूल का गुबार शांत होने के बाद विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा। इसमें करीब 1 घंटा 50 मिनट लगेगा। इसके बाद विक्रम और प्रज्ञान एक-दूसरे की फोटो खींचेंगे और पृथ्वी पर भेजेंगे।
चंद्रयान-3 के लैंडिंग के वक्त दक्षिण अफ्रीका से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली जुड़े रहे। सफल लैंडिंग के बाद पीएम मोदी ने कहा कि चंदा मामा के दूर के नहीं, एक टूर के। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को बधाई दी।
उन्होंने कहा कि यह क्षण भारत के सामर्थ्य का है। यह क्षण भारत में नई ऊर्जा, नए विश्वास, नई चेतना का है। अमृतकाल में अमृतवर्षा हुई है। हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया। हम अंतरिक्ष में नए भारत की नई उड़ान के साक्षी बने हैं। चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
नया इतिहास बनते ही हर भारतीय जश्न में डूब गया है। पहले कहा जाता था कि चंदा मामा बहुत दूर के हैं। एक दिन ऐसा आएगा कि बच्चे कहेंगे चंदा मामा बस टूर के हैं। लैंडिंग के बाद गुबार के शांत होने के बाद विक्रम चालू होगा और कम्युनिकेट करेगा।
इसके बाद फिर रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चांद की सतह पर आएगा। पहिए चांद की मिट्टी पर अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेंगे। विक्रम लैंडर प्रज्ञान की फोटो खींचेगा और प्रज्ञान विक्रम की। ये फोटो वे पृथ्वी पर भेजेंगे। इस प्रक्रिया में लगभग दो घंटे का समय लगेगा।