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ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के तहखाने में जिला अदालत के आदेश के बाद 31 जनवरी देर रात पूजा-अर्चना हुई। औऱ आज तड़के मंगला आरती भी हुई। तहखाने में 30 साल बाद दीप जले। कोर्ट का आदेश आने के बाद रात में ही तहखाने से बैरिकेडिंग हटा दी गई थी। तड़के से ही पूजा के लिए लोग जुटने भी लगे हैं। कड़े प्रशासनिक सुरक्षा घेरे में पूजा की शुरुआत हुई। तो वहीं एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें युवा ज्ञानवापी मस्जिद की जगह ज्ञानवापी मंदिर का पोस्टर लगा रहे हैं.
आपको बता दें कि, जिला न्यायाधीश डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 31 जनवरी को ही व्यास परिवार और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के पुजारी से तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा और राग-भोग कराने का आदेश दिया था। रिसीवर को सात दिन में लोहे की बाड़ का उचित प्रबंध कराने के भी निर्देश दिए। मुकदमे की अगली सुनवाई आठ फरवरी को होगी। इस बीच, वादी और प्रतिवादी पक्ष आपत्तियां प्रस्तुत कर सकते हैं। व्यासजी का तहखाना जिलाधिकारी को सुपुर्द करने की मांग और दिसंबर, 1993 से पहले की तरह पूजा-पाठ की अनुमति के लिए बीते साल 25 सितंबर को शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने अदालत में वाद दायर किया था। वाद में आशंका जताई गई थी कि तहखाने पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी जबरन कब्जा कर सकती है।
17 जनवरी को जिला जज ने जिलाधिकारी को व्यासजी के तहखाने का रिसीवर बनाया था। 31 जनवरी को पूजा की अनुमति देकर दूसरी मांग भी मान ली। ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने के संबंध में अदालत के आदेश के बाद देर रात पुलिस और प्रशासन के आला अफसर विश्वनाथ धाम पहुंचे। चर्चा रही कि व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ की व्यवस्था के संबंध में जिला जज की अदालत ने जो आदेश दिया है, उसी के संबंध में अफसरों ने बैठक की है। हालांकि इस संबंध में पूछे जाने पर पुलिस और प्रशासन का कोई अफसर औपचारिक रूप से कुछ भी कहने को तैयार नहीं हुआ। अनौपचारिक रूप से अफसरों ने बस इतना ही कहा कि अदालत का जो भी आदेश है, उसका अध्ययन कर नियमानुसार पालन कराया जाएगा। पता चला है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने से रास्ता काट कर व्यासजी के तहखाने के लिए आने-जाने की व्यवस्था कर दी गई है। एएसआई सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार तहखाने में मूर्तियों को रख कर उनकी पूजा-अर्चना कराई गई है।