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जिस खाजूवाला और छत्तरगढ़ को अनूपगढ़ ज़िले में शामिल करने का फैसला विधानसभा चुनाव से पहले किया गया और इसका खामियाजा उस समय के कैबिनेट मंत्री और खाजूवाला विधायक गोविन्द राम मेघवाल को भुगतना पड़ा था. ठीक वही गलती अब भाजपा सरकार ने कर दी है. आचार संहिता के बीच 28 मार्च को छत्तरगढ़ और खाजूवाला की तमाम पंचायतों को अनूपगढ़ जिले के अधीन करने के आदेश कर दिए गए हैं.
16 मार्च को ही हो गए थे आदेश
कृषि विभाग के एडिशनल डायरेक्टर का कहना है की यह आदेश तो 16 मार्च को ही हो गए थे. अब तो सिर्फ इसकी पालना के आदेश दिए गए हैं. इस फैसले से भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के हाथ पांव फूल गए हैं. लोगों का कहना है कि जब सरकार ने नोटिफिकेशन ही वापस ले लिया, तो कोई विभाग ऐसे आदेश कैसे जारी कर सकता है.
हैरानी की बात यह है कि 28 मार्च को जो आदेश जारी हुआ उसमें स्पष्ट लिखा हुआ है की 27 सितंबर 2023 को जरी आदेश के तहत नवगठित जिलों के क्षेत्राधिकार में पंचायत समितियां और ग्राम पंचायत को शामिल किया गया है. 28 मार्च 2024 को एग्रीकल्चर विभाग में पुनर्गठित जिलों के तहत खाजूवाला और छत्तरगढ़ तहसील और पूगल की कुछ पंचायतों को अनूपगढ़ जिले के अधीन करने का आदेश जारी कर दिया. हैरानी की बात यह है कि, पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 7 अगस्त को एक आदेश जारी कर अनूपगढ़ को नया जिला बनाया था. उसमें बीकानेर के खाजूवाला और छत्तरगढ़ को शामिल किया गया था.
पिछली सरकार में 64 दिनों तक चला था आंदोलन
उसके बाद वहां की पूरी जनता इसके विरोध में उतर आई थी. 64 दिनों तक लगातार आंदोलन चला रहा. उसे वक्त कैबिनेट मंत्री रहे गोविंद राम मेघवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से दो टूक कहा था कि अगर यह फैसला नहीं बदला गया तो वे चुनाव हार जाएंगे. जब यह आंदोलन लंबा चला तो गोविंद राम के खिलाफ गुस्सा फैल गया. हालांकि अक्टूबर के पहले सप्ताह में अशोक गहलोत ने खाजूवाला और छतरगढ़ को वापस बीकानेर जिले में शामिल कर तो दिया, लेकिन गोविंद राम मेघवाल चुनाव हार गए. अब उसी पुराने आदेश के हवाले से कृषि विभाग के एडिशनल डायरेक्टर ने आदेश जारी कर खाजूवाला और छतरगढ़ के इलाकों को अनूपगढ़ जिले में शामिल करने के आदेश जारी कर दिए हैं.
इस तरह से अनूपगढ़ जिले का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है. पुनर्गठन के बाद पंचायत समिति ग्राम पंचायत और सहायक निदेशक कृषक क्षेत्र को कार्य संपादन क्षेत्र अनूपगढ़ जिला बताया गया है. इसमें पूगल तहसील के अलावा छतरगढ़, सत्तासर, मोतीगढ़, 1-केएम, रामनगर, डीएलएसएम, कृष्णा नगर, केलां, राजासर भाटियान, तख्त, भानसर, महादेववाली, सादोलाई, खारबारा को कृषि विभाग के तहत अनूपगढ़ जिले में शामिल करने के आदेश 28 मार्च 2024 को जारी हुए.
खाजूवाला की इन पंचायतों को किया शामिल
इसके अलावा खाजूवाला पंचायत समिति के 14 बीडी, 2 केडब्ल्यूएम, 25 केवाईडी, 4 एडब्ल्यूएम, 6 केवाईडी, आवा, कुंडल, सामरदा, लूणख़ाँ, सियाचरचौगान, संसारदेसर, शेरपुरा, 10 जीएम, 17 केवाईडी, 20 बीडी, 3 पीडब्ल्यूएम, 40 केवाईडी, 7 पीएचएम, खारवाली, गुल्लुवाली, माधोडिग्गी और राणेर को भी अनूपगढ़ ज़िले में शामिल करने के आदेश जारी किए गए हैं.
'भाजपा के लोग कर रहे थे आंदोलन का नाटक'
इस बारे में खाजूवाला के पूर्व विधायक गोविंद राम मेघवाल का कहना है कि जब गहलोत ने अनूपगढ़ जिले में खाजूवाला और छतरगढ़ को शामिल किया तो उसे वक्त मैं जनता के साथ था. मैंने वादा किया था कि मैं इनको वापस बीकानेर लेकर आऊंगा और मैं इनको लेकर आया. लेकिन जनता ने मुझे इसकी सजा दी. उसे सजा को मैंने स्वीकार भी किया. अब जनता को देखना है की जो भाजपाई लोग उसके साथ आंदोलन का नाटक कर रहे थे. उन्हीं लोगों ने अब आचार संहिता में यह निर्णय करवाया है.
अर्जुन मेघवाल बोले, गलती से जारी हुआ आदेश
वहीं बीकानेर के वर्तमान विधायक और भारतीय जनता पार्टी के टिकट से लगातार चौथी बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे अर्जुन राम मेघवाल का कहना है कि शायद यह आदेश गलती से जारी हुआ है. अनूपगढ़ और बीकानेर कलेक्टर के वे संपर्क में है. उन्होंने सरकार से बात भी की है. जल्द ही आदेश वापस हो जाएगा इसके बारे में बातचीत चल रही है. मैं भी इसकी कोशिश कर रहा हूं.