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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कानून की पढ़ाई हिंदी में उपलब्ध करवाने की पैरवी की. उन्होंने कहा कि हिंदी में अगर कानून की पढ़ाई उपलब्ध होगी तो छोटे शहरों के भी अच्छे छात्र, अच्छे वकील बन सकेंगे. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुक्रवार (16 फरवरी) को राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के उद्घाटन मौके पर उन्होंने ये बातें कही है.
सीजेआई ने उम्मीद जताई कि नया विश्वविद्यालय कानूनी शिक्षा में नए आयाम स्थापित करेगा. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून की पढ़ाई अंग्रेजी बोलने वाले चुनिंदा शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं होनी चाहिए. इसमें अंग्रेजी भाषा बाधा नहीं होनी चाहिए. तकनीक के सहयोग से वंचित छात्रों और हर क्षेत्र तक इसकी पहुंच होनी जरूरी है.
'कानून की पढ़ाई का मकसद एक जिम्मेदार नागरिक तैयार करना है'
जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि लॉ की शिक्षा का उद्देश्य छात्रों में प्रोफेशनल स्किल के साथ ही एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में समाजसेवा का भाव पैदा करना है. यह तभी संभव होगा जब लॉ स्कूल अंतरविषयी और विविध शिक्षा को बढ़ावा देते हैं. कानून के छात्र को समाज शास्त्र, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, दर्शन जैसे विषयों का ज्ञान भी होना चाहिए. लॉ स्कूल बच्चों के साथ ही कानूनी व्यवसाय के चरित्र का निर्माण करते हैं. शिक्षा से समाज में बराबरी की नींव पड़ती है. नए उभरते स्पेस लॉ और टेक्नोलॉजी की चर्चा सिर्फ राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए.
'दो विश्वविद्यालयों के छात्रों में प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए'
सीजेआई ने कहा कि उत्तर प्रदेश में दो राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय हो गए हैं. दो दशक पहले स्थापित राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने अलग पहचान बनाई है. प्रयागराज राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के छात्र भी अच्छा मुकाम हासिल करेंगे. उन्होंने कहा कि सबसे अच्छी बात ये होगी कि दोनों विश्वविद्यालयों के छात्रों में एक दूसरे से बेहतर करने की प्रतिस्पर्धा हो.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता विश्वविद्यालयों में एक समान होनी चाहिए. कानून विश्वविद्यालय का लाभ दूसरे शिक्षण संस्थानों के छात्रों को भी मिलना चाहिए. अगर हिंदी में पढ़ाई होगी तो छोटे शहरों के छात्रों के लिए भी समान मौका उपलब्ध होगा. इस कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे.