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BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?

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अब जनता कांग्रेस-भाजपा से परेशान हो चुकी है
30%
'आप' की वजह से कांग्रेस और भाजपा में चिंता है
9%
केजरीवाल राजस्थान में कामयाब नहीं हो पाएंगे
90%
राजस्थान में भी 'आप' की सरकार बननी चाहिए
70%
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डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?

अजय सिंह किलक
56%
शिव देशवाल
26%
अन्य
18%
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कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?

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सिद्देरमैया
67%
डीके शिवकुमार
13%
मल्लिकार्जुन खड़गे
13%
बता नहीं सकते
7%
Total count : 15

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फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?

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समुदाय विशेष को टारगेट करना
33%
राजनीतिक लाभ लेने के लिए
11%
फिल्मों को हिट करने के लिए
44%
कुछ बता नहीं सकते
11%
Total count : 9

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Ekadashi 2023 : अधिक मास की वजह से 2023 में 24 की बजाय रहेंगी 25 एकादशी

The Fact India : इस साल हिंदी कैलेंडर में अधिक मास होने से 24 की बजाय 25 एकादशी व्रत किए जाएंगे। यानी 2023 में एक एकादशी ज्यादा रहेगी। आमतौर पर अंग्रेजी कैलेंडर के एक साल में 24 एकादशी (Ekadashi 2023) होती हैं। लेकिन 2021 में पौष महीना जनवरी और दिसंबर में फिर होने से 25 एकादशी व्रत किए गए। उससे पहले 2020 में भी ऐसा हुआ था। तब अधिक मास होने से जुलाई में 3 एकादशी (Ekadashi 2023) व्रत थे। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। ये महीने में दो बार आती है। एक शुक्ल पक्ष के बाद और दूसरी कृष्ण पक्ष के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी (Ekadashi 2023) और अमावस्या के बाद आने वाली को शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi 2023) कहते हैं। इस तरह साल 24 एकादशी तिथियों को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व है। हिंदू धर्म व्रतों और त्योहारों का विशेष महत्व है। एकादशी व्रत का भी सभी व्रत में विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादशी व्रत हर माह में 2 बार पड़ता है एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। इस तरह से साल में 24 एकदशी पड़ती हैं। लेकिन अधिक मास या मलमास होने के कारण कभी कभी 25 एकादशी भी पड़ती हैं।

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साल 2023 में पड़ेंगी 25 एकादशी
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर तीन वर्ष में एक बार अधिक मास आता है। इसे मलमास या पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इस हिसाब से हिन्दू पंचांग के अनुसार साल 2023 में कुल 25 एकादशी पड़ेंगी। यानी अधिक मास होने के कारण इस बार 1 अतिरिक्त एकादशी पड़ेंगी।

यज्ञ से भी ज्यादा फल देता है एकादशी व्रत
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पुराणों के मुताबिक, एकादशी को हरी वासर यानी भगवान विष्णु का दिन कहा जाता है। विद्वानों का कहना है कि एकादशी व्रत यज्ञ और वैदिक कर्म-कांड से भी ज्यादा फल देता है। पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से मिलने वाले पुण्य से पितरों को संतुष्टि मिलती है। स्कंद पुराण में भी एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है। इसको करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।

पुराणों और स्मृति ग्रंथ में एकादशी व्रत
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि स्कन्द पुराण में कहा गया है कि हरिवासर यानी एकादशी और द्वादशी व्रत के बिना तपस्या, तीर्थ स्थान या किसी तरह के पुण्याचरण द्वारा मुक्ति नहीं होती। पदम पुराण का कहना है कि जो व्यक्ति इच्छा या न चाहते हुए भी एकादशी उपवास करता है, वो सभी पापों से मुक्त होकर परम धाम वैकुंठ धाम प्राप्त करता है। कात्यायन स्मृति में जिक्र किया गया है कि आठ साल की उम्र से अस्सी साल तक के सभी स्त्री-पुरुषों के लिए बिना किसी भेद के एकादशी में उपवास करना कर्त्तव्य है। महाभारत में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सभी पापों ओर दोषों से बचने के लिए 24 एकादशियों के नाम और उनका महत्व बताया है।

एकादशी व्रत का महत्व
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैदिक संस्कृति में प्राचीन काल से ही योगी और ऋषि इन्द्रिय क्रियाओं को भौतिकवाद से देवत्व की ओर मोड़ने को महत्व देते आ रहे हैं। एकादशी का व्रत उसी साधना में से एक है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार एकादशी में दो शब्द होते हैं एक (1) और दशा (10)। दस इंद्रियों और मन की क्रियाओं को सांसारिक वस्तुओं से ईश्वर में बदलना ही सच्ची एकादशी है। एकादशी का अर्थ है कि हमें अपनी 10 इंद्रियों और 1 मन को नियंत्रित करना चाहिए। मन में काम, क्रोध, लोभ आदि के कुविचार नहीं आने देने चाहिए। एकादशी एक तपस्या है जो केवल भगवान को महसूस करने और प्रसन्न करने के लिए की जानी चाहिए।

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस व्रत की महिमा स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी। एकादशी व्रत के प्रभाव से जातक को मोक्ष मिलता है और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं, दरिद्रता दूर होती है, अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता, शत्रुओं का नाश होता है, धन, ऐश्वर्य, कीर्ति, पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता रहता है

2023 के एकादशी व्रत
तारीख और एकादशी का नाम
2 जनवरी पौष पुत्रदा एकादशी
18 जनवरी षटतिला एकादशी
1 फरवरी जया एकादशी
16 फरवरी विजया एकादशी
3 मार्च आमलकी एकादशी
18 मार्च पापमोचिनी एकादशी
1 अप्रैल कामदा एकादशी
16 अप्रैल वरुथिनी एकादशी
1 मई मोहिनी एकादशी
15 मई अपरा और अचला एकादशी
31 मई निर्जला एकादशी
14 जून योगिनी एकादशी
29 जून देवशयनी एकादशी
13 जुलाई कामिका एकादशी
29 जुलाई पद्मिनी एकादशी
12 अगस्त परम एकादशी
27 अगस्त पुत्रदा एकादशी
10 सितंबर अजा-जया एकादशी
25 सितंबर जलझूलनी एकादशी
10 अक्टूबर इंदिरा एकादशी
25 अक्टूबर पापांकुशा एकादशी
9 नवंबर रमा-रंभा एकादशी
23 नवंबर देवउठनी एकादशी
8 दिसंबर उत्पन्ना एकादशी
23 दिसंबर मोक्षदा एकादशी

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