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जयपुर में अपने सरकारी आवास पर मीडिया से रूबरू होते हुए सचिन पायलट ने कहा कि, "पहले हमने ही जनता के बीच जाकर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार की जांच की मांग उठाई थी. अब सत्ता में आने के बाद हम उन मामलों की जांच नहीं कराएंगे तो जनता हम पर भरोसा कैसे करेंगे. छह-सात महीनों बाद फिर से चुनाव आने वाले हैं. हम कांग्रेसी नेता किस मुंह से जनता के सामने जाएंगे."
सचिन पायलट ने कहा कि, "जब हम विपक्ष में थे तब कांग्रेसी नेताओं के पास वसुंधरा राजे सरकार के भ्रष्टाचार के पूरे सबूत थे. कई नेताओं ने राष्ट्रपति, सीएजी और सीबीसी को ज्ञापन देकर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की मांग की थी. हम तमाम सबूत लेकर जांच एजेंसियों के पास गए थे लेकिन अब हम प्रदेश में सत्ता में हैं लेकिन सरकार ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए 45 हजार करोड़ रुपए के घोटालों की जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाए. पहले हम ही सीबीआई की जांच की मांग करते थे, लेकिन पिछले सवा चार साल में हमने सीबीआई जांच कराने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए."
पायलट ने कहा कि, "केन्द्र सरकार तो सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का दुरुपयोग कर रही है. पिछले 8 सालों में 95 फीसदी छापों की कार्रवाई विपक्षी नेताओं के खिलाफ हुई. राजस्थान की कांग्रेस सरकार यहां की जांच एजेंसियों का कोई उपयोग नहीं कर रही है. उनका सदुपयोग करना चाहिए लेकन वो भी नहीं किया जा रहा है."
इससे पहले भी साल 2015 में सचिन पायलट ने विपक्ष में रहते हुए इस घोटाले को उजागर किया था. सचिन ने कहा था कि, वसुंधरा राजे के इस घोटाले से राज्य को 45 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है. आरोप लगाया कि, बीजेपी सरकार ने नियमों का उल्लंघन कर 653 खदानों का बिना बोली लगाए आवंटन कर दिया. पायलट ने तब तात्कालिक सीएम वसुंधरा राजे से इस्तीफा देने की भी मांग की थी.
आपके मन में सवाल होगा कि, आखिरकार ये घोटाला है क्या ? बात 16 सितंबर 2015 की है तब ये घोटाला उजागर हुआ था. इस मामले में राज्य सरकार के खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी की गिरफ्तारी भी हुई. यह बात जानकारी में लाई गई कि, खान विभाग सीधे सीएम राजे के अधीन है और राज्यमंत्री राजकुमार रिणवा तो नाम मात्र के मंत्री हैं. घोटाले के उजागर होने के बाद रिणवा ने साफ कहा था कि, खान आवंटन से संबंधित कोई भी फाइल उनके पास नहीं आती है. इस मामले में एसीबी की कार्रवाई प भी सवाल खड़े हो रहे थे. इसका अंदाजा इस बात से लगाया गया जब 16 सितंबर 2015 को ये घोटाला उजागर हुआ तो एसीबी के तात्कालिक डीजी नवदीपसिंह और आईजी दिनेश एनम तात्कालिक सीएम से मिलने के लिए विधानसभा भवन गए थे. एसीबी की इसी स्थिति को देखते हुए ही इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग उठी थी.
आपको बता दें कि, केंद्र सरकार ने 14 नवंबर 2014 को राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किया था कि, खदानों की सिर्फ नीलामी की जानी चाहिए और 12 जनवरी को इस बारे में गजट अधिसूचना भी जारी की गई थी. लेकिन राजस्थान सरकार ने अकेले उसी दिन यानि कि, 12 जनवरी को 137 खानें आवंटित कर दीं. इसी समय कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि, वसुंधरा राजे ने केंद्र की नीतियों का उल्लंघन करते हुए तकरीबन 653 खदानें आवंटित कर दीं. अब एक बार फिर सचिन पायलट ने चुनावी साल में इस खान घोटाले के मामले पर सबका ध्यान कर दिया है.