Categories
Vote / Poll
BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?
Vote / Poll
डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?
Vote / Poll
कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?
Vote / Poll
फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?
Recent Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!
Recommended Posts
Featured Posts
राजस्थान में गहलोत पायलट खेमों की गुटबाजी आलाकमान के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को जिम्मेदारी मिली लेकिन वो भी इसे नहीं सुलझा पाए . अब तीन सहयोगी इस कार्य में रंधावा की मदद करेंगे. आपको बता दें कि, राजस्थान में एआईसीसी ने तीन सह-प्रभारियों को नियुक्तियां दे दी हैं.
प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ दिल्ली प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष और पार्टी प्रवक्ता अमृता धवन, गुजरात में सह प्रभारी रहे वीरेंद्र सिंह राठौड़ औेर साथ ही राजस्थान के पूर्व एआईसीसी प्रभारी सचिव रहे काजी मोहम्मद निजामुद्दीन को प्रभारी सचिव और सह-प्रभारी पद पर नियुक्ति दी गई है. तीनों को राजस्थान में एआईसीसी इंचार्ज के साथ अटैच करते हुए यह जिम्मा सौंपा गया है. चुनावी साल में अब प्रभारी और तीन सहप्रभारी यानी 4 नेता कांग्रेस हाईकमान को सीधे रिपोर्ट करेंगे. जिन तीन नेताओं को नियुक्तियां दी गई हैं, ये तीनों राहुल गांधी की टीम के हैं. अब नए तीनों सह प्रभारी सचिवों के बीच जिलों और कामों का बंटवारा कर जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. ये तीनों सह प्रभारी जिलों से पार्टी नेताओं, जिलाध्यक्षों और कार्यकर्ताओं की मांगें, मुद्दे, शिकायतें और सुझाव लेकर प्रभारी और पीसीसी चीफ तक पहुंचाएंगे.
राजस्थान में गहलोत-पायलट खेमों में गुटबाजी से निपटने, चुनावी रणनीति और मुद्दे, चुनाव घोषणा पत्र तैयार करना, चुनाव में टिकट वितरण से लेकर तमाम रायशुमारी तक में इनकी भागीदारी रहेगी. जैसा कि, आप जानते हैं, राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में महज 6 महीने का समय बचा है. ऐसे में जहां कांग्रेस यहां की सरकार को रिपीट करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. वहीं अब एक नई सुगबुगाहट तेज हो गई है कि, अशोक गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है. चर्चा है कि मई में गहलोत कैबिनेट का विस्तार हो सकता है. माना जा रहा है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद राजस्थान की कैबिनेट का विस्तार हो. इसमें कई नाराज लोगों को जगह और कई मंत्रियों के विभाग बदले जा सकते हैं. वहीं कुछ मंत्रियों को संगठन में जगह देने की तैयारी है. इसमें से कई के टिकट भी काटे जाएंगे. वहीं सरकार में शामिल कई मंत्री खुद चुनाव न लड़ने की स्थिति में हैं.
इसलिए उन्हें अब सरकार से बाहर करने की तैयारी है. कांग्रेस कई युवा विधायकों को सरकार में मौका दे सकती है. क्योंकि सरकार और संगठन को साधने का सबसे बेहतर तरीका यही बताया जा रहा है. वही राजस्थान सरकार में इस समय कई मंत्रियों के खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं. उन मंत्रियों की वजह से सरकार को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इन मंत्रियों के विभागों के कामों पर प्रभाव भी पड़ रहा है. ऐसे में उनकी जगह कुछ नए चेहरे लाए जा सकते हैं. वहीं एक-दो कैबिनेट मंत्री ऐसे हैं, जो यह कह चुके हैं कि, अब वो चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. इन मंत्रियों के विभाग का काम प्रभावित हो रहा है. ऐसे में अब उन्हें हटाने की चर्चा है. सरकार में उन मंत्रियों का विभाग बदला जा सकता है, जो अपने विभाग से संतुष्ट नहीं हैं. राजस्थान में अगले दो महीने महंगाई राहत कैंप चलने वाला है. ऐसे में सरकार का टारगेट है कि हर मंत्री अपनी योजनाओं का लाभ जनता तक ले जाए. विवाद और बयानबाजी से दूर रखने की तैयारी है. मुख्यमंत्री अपने कुछ सलाहकार बदल सकते हैं. उनकी जगह नए लोगों के आने की चर्चा है. कुछ लोगों को संगठन में भेजने की भी तैयारी है. कई संगठन से सरकार में आ सकते हैं. प्रदेश नेतृत्व को आलाकमान के संदेश का इंतजार है.