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Vote / Poll

BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?

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अब जनता कांग्रेस-भाजपा से परेशान हो चुकी है
30%
'आप' की वजह से कांग्रेस और भाजपा में चिंता है
11%
केजरीवाल राजस्थान में कामयाब नहीं हो पाएंगे
90%
राजस्थान में भी 'आप' की सरकार बननी चाहिए
70%
Total count : 143

Vote / Poll

डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?

अजय सिंह किलक
56%
शिव देशवाल
26%
अन्य
18%
Total count : 7528

Vote / Poll

कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?

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सिद्देरमैया
67%
डीके शिवकुमार
17%
मल्लिकार्जुन खड़गे
11%
बता नहीं सकते
6%
Total count : 18

Vote / Poll

फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?

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समुदाय विशेष को टारगेट करना
38%
राजनीतिक लाभ लेने के लिए
15%
फिल्मों को हिट करने के लिए
38%
कुछ बता नहीं सकते
8%
Total count : 13

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अगर राजस्थान में हुई जातिगत जनगणना तो किसको होगा फायदा

अगर राजस्थान में हुई जातिगत जनगणना तो किसको होगा फायदा
Pooja Parmar
May 1, 2025

केंद्र सरकार ने कैबिनेट बैठक में पूरे देश में जातिगत जनगणना करवाने के फैसले पर मुहर लगा दी है. बता दें, जातिगत जनगणना की मांग विपक्ष काफी समय से कर रहा है. लेकिन माना जा रहा है कि जातिगत जनगणना कराने का फैसला बिहार चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया गया है. चूकि बिहार में नीतीश सरकार ने जातिगत जनगणना शुरू की थी लेकिन इस पर रोक लगा दिया गया था. वहीं अब जातिगत जनगणना के जरिए बिहार ही नहीं पूरे देश की राजनीति साधने की कोशिश शुरू हो गई है. जातिगत जनगणना फैसले का असर राजस्थान में भी व्यापक रूप से पड़ने वाला है क्योंकि राजस्थान की राजनीति पर लंबे समय से जातीय समीकरणों का सियासी असर रहा है.

राजस्थान में ओबीसी (विशेषकर जाट, माली, गुर्जर, मीणा, बिश्नोई,) लंबे समय से सत्ता संतुलन में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. जातिगत जनगणना से इन वर्गों की वास्तविक जनसंख्या सामने आने पर ये समूह आरक्षण, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और सरकारी योजनाओं में हिस्सेदारी के लिए और मुखर होंगे. जाट समुदाय, जो लंबे समय से खुद को हाशिए पर मानता है. संख्या बल के आधार पर आरक्षण या राजनीतिक भागीदारी में अधिक हिस्सेदारी मांग सकता है. जातिगत जनगणना के आधार पर गुर्जर आरक्षण आंदोलन को नई दिशा मिल सकती है.

SC/ST वर्ग, विशेषकर मेघवाल, वाल्मीकि, भील, गरासिया समुदायों को जनसंख्या के आधार पर सरकारी योजनाओं और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में ज्यादा पारदर्शिता की मांग करने का अवसर मिलेगा.

भीलवाड़ा, बांसवाड़ा, डूंगरपुर जैसे इलाकों में आदिवासी मुद्दे और अधिक तेज़ हो सकते हैं दलित समुदाय सामाजिक न्याय और सरकारी नौकरियों में हिस्सेदारी को लेकर और जागरूक होगा.

माना जा रहा है कि भाजपा अपने पारंपरिक सवर्ण वोटबैंक के साथ-साथ ओबीसी और दलित समुदायों में गहराई से पैठ बनाने की कोशिश करेगी. वहीं, कांग्रेस इन आंकड़ों के आधार पर अपनी योजनाओं को फिर से ब्रांड कर सकती है. नए गठबंधन और क्षेत्रीय नेताओं का उभार भी संभव है जैसे माली, बिश्नोई, गुर्जर नेताओं की स्वतंत्र मांगें या नए राजनीतिक फ्रंट का बनना संभव है.

जातिगत जनगणना से नौकरी और योजनाओं में आरक्षण पर बहस तेज़ होगी. राजस्थान में पहले ही आरक्षण की सीमा 50% से ऊपर जा चुकी है. यदि जनगणना में पता चला कि किसी जाति का प्रतिशत बहुत अधिक है, तो EWS को लेकर सवर्ण वर्ग और OBC आरक्षण में उपवर्गीकरण को लेकर नई बहस शुरू हो सकती है.

जातीय आंदोलन की बात करें तो सामाजिक न्याय मंच की स्थापना 2003 में लोकेंद्र सिंह कालवी और देवी सिंह भाटी ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक सामाजिक-सह-राजनीतिक संगठन के रूप में की थी. पार्टी का उद्देश्य राज्य में आर्थिक रूप से पिछड़े उच्च जाति समुदायों को सामाजिक न्याय प्रदान करना था.

दरअसल, राजस्थान लंबे समय से जातीय आंदोलनों की ज़मीन रहा है. गुर्जर आंदोलन (2007–2019)- पांच बार आरक्षण की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन हुए, जिनमें रेल-पटरियों तक को जाम किया गया. जाट आरक्षण आंदोलन- हरियाणा और यूपी के साथ-साथ राजस्थान के शेखावाटी और भरतपुर क्षेत्र में भी जाट समुदाय ने आरक्षण की मांग उठाई. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सीकर की रैली में ही जाटों को आरक्षण देने की घोषणा की थी. वहीं, माली, सैनी, विश्नोई जैसे समुदाय समय-समय पर राजनीतिक भागीदारी और सरकारी योजनाओं में उचित प्रतिनिधित्व की मांग करते रहे हैं.

अगर राजस्थान में हुई जातिगत जनगणना तो किसको होगा फायदा