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इन दिनों प्रदेश में महंगाई राहत कैंप चल रहे हैं. सीएम अशोक गहलोत खुद इन कैंपों का अवलोकन कर रहे हैं. सभी मंत्री और कांग्रेस के विधायकों को राहत कैंप में जाने के निर्देश दे रखे हैं. लेकिन इन कैंपों में सचिन पायलट कहीं नजर नही आ रहे हैं. क्या पायलट ने खुद इन कैंपों से दूरी बनाई है. या फिर गहलोत ने ही उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी है.
ऐसा पहली बार नहीं है जब पायलट अपनी ही पार्टी के कार्यक्रमों से दूर हैं. इससे पहले भी पायलट ने फीडबैक कार्यक्रम से दूरी बनाई थी. कुछ ही दिन पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और पार्टी प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मंत्रियों विधायकों से वन टू वन चर्चा की थी. कार्यकर्ताओं से भी बातचीत की गई. जब कांग्रेस के विधायकों से गहलोत चर्चा कर रहे थे तब सचिन पायलट जनआधार जुटाने में लगे थे. जनता के बीच जाकर उन्होंने ये साफ कर दिया की जनता उनके साथ है. इसलिए उन्हें झुकने की जरूरत नहीं है.
पायलट भले दूर हैं लेकिन पायलट समर्थक माने जाने वाले मंत्री और विधायक राहत कैंप शिविर में लोगों की मदद करते हुए दिखाई दे रहे हैं. सचिन पायलट के महंगाई राहत कैंप से दूरी पर अलवर प्रभारी मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि, सभी उनमें जा रहे हैं, तो सचिन पायलट को भी इन महंगाई राहत कैम्पों में जाना चाहिए. सरकार की तरफ से प्रत्येक नेता और कार्यकर्ता को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है. खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैम्पों का निरीक्षण कर रहे हैं. सभी मंत्री, जिलाध्यक्ष, कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई है. सरकार इन राहत कैम्पों के माध्यम से सत्ता में फिर से काबिज होने की योजना बना रही है. योजनाओं से आमजन को फायदा मिलेगा.
कांग्रेस के नेता पायलट को लेकर बड़े ही सधे हुए बयान दे रहे हैं. लेकिन पायलट और गहलोत की तरफ से रुख क्या है वो साफ दिखाई दे रहा है. पायलट को गहलोत शुरु से ही पसंद नहीं करते और अब तो उनके पास में बहाना भी है. पायलट से छुटकारा पाने का क्योंकि गहलोत जानते हैं कि, राजस्थान में उनकी जगह कोई ले सकता है तो वो पायलट हैं. और पायलट गहलोत के उत्तराधिकारियों का पत्ता साफ कर सकते हैं. इसलिए गहलोत अब कुछ ठीक करने के मूड में नहीं हैं. और पायलट के कदम का ही इंतजार कर रहे हैं. ताकि इसका फायदा विधानसभा चुनावों में उठा सकें.