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Vote / Poll

BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?

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अब जनता कांग्रेस-भाजपा से परेशान हो चुकी है
30%
'आप' की वजह से कांग्रेस और भाजपा में चिंता है
10%
केजरीवाल राजस्थान में कामयाब नहीं हो पाएंगे
90%
राजस्थान में भी 'आप' की सरकार बननी चाहिए
70%
Total count : 138

Vote / Poll

डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?

अजय सिंह किलक
56%
शिव देशवाल
26%
अन्य
18%
Total count : 7524

Vote / Poll

कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?

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सिद्देरमैया
67%
डीके शिवकुमार
13%
मल्लिकार्जुन खड़गे
13%
बता नहीं सकते
7%
Total count : 15

Vote / Poll

फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?

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समुदाय विशेष को टारगेट करना
33%
राजनीतिक लाभ लेने के लिए
11%
फिल्मों को हिट करने के लिए
44%
कुछ बता नहीं सकते
11%
Total count : 9

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प्रियंका ने ली राहुल को जिताने की जिम्मेदारी

प्रियंका ने ली राहुल को जिताने की जिम्मेदारी
Pooja Parmar
May 10, 2024

देर से आने के लिए माफी चाहती हूं। लंबा भाषण दूं या छोटा ? प्रियंका के सवाल पर जनसमूह से आवाज आती है, जितना मन हो बोलिए। चिर-परिचित मुस्कान देकर प्रियंका पूछती हैं, मेरे भैया राहुल को आप लोग जानते हैं? भीड़ से उत्तर आता है, हां देश के नेता हैं?

प्रियंका कहती हैं, वही देश का नेता आप लोगों के लिए चार हजार किलोमीटर पैदल चलता है और आपके प्रधानमंत्री के कपड़ों पर धूल नहीं, एक बाल इधर से उधर नहीं,आपको नेता चाहिए या राजा ? उत्तरपारा की नुक्कड़ सभा में इस तरह का संवाद करने के बाद उनका काफिला चलता है कुचरिया की ओर। वहां भी इसी तरह के सवाल-जवाब और जनता से संवाद।

मंच से उतरते ही कोने में खड़ी कुछ महिलाओं की तरफ बढती हैं। एक का हाथ पकड़कर पूछती हैं, कैसी हो माई। जवाब आता है, अच्छी हूं। महिला के दोनों हाथ पकड़कर पूछती हैं, महंगाई बहुत बढ़ गई है न ? प्रियंका के हाथ में तो महिला के हाथ होते हैं, लेकिन दर्जनों हाथ इस पल को मोबाइल में कैद करने लगते हैं।

किसी के घर में अचानक पहुंचकर महिलाओं से बच्चों की पढ़ाई और महंगाई पर बात तो किसी दुकान पर जाकर कारोबार की बात। पिछले चार दिन से प्रियंका गांधी की यह प्रचार शैली जिले में चर्चा का विषय है।

गाड़ी चढ़ते समय एक युवक की नमस्ते का जवाब देकर पूछती हैं, कैसे हो भइया? हर भाषण में इंदिरा और राजीव की जिक्र करके वह रिश्तों की दुहाई देना नहीं भूलतीं। धुर कांग्रेसी उनमें इंदिरा की छवि देखकर मुदित हैं तो विरोधी कहते हैं कि चुनाव के समय ही रायबरेली याद आती है, पिछले पांच साल तो कोई नजर नहीं आया।

खैर पक्ष विपक्ष के तर्क अपनी जगह, लेकिन राहुल गांधी तीन मई को नामांकन करने के बाद से रायबरेली नहीं आए हैं और छह मई से प्रियंका रायबरेली में डेरा डाले हुए हैं। अमेठी की हार का सबक कहें या भाजपा की रणनीति से किला बचाने की जुगत, प्रियंका ने चार दिन से बगल की सीट अमेठी का रुख भी नहीं किया, उनका पूरा ध्यान रायबरेली पर है।

दो दिन में 41 नुक्कड़ सभाएं, जनसंपर्क और कार्यकर्ताओं के साथ मैराथन बैठकों में व्यस्त प्रियंका जानती हैं कि रायबरेली के बाद अमेठी हाथ से जाने के मायने क्या हैं। एक दिन में 20 से अधिक नुक्कड़ सभाओं के बाद भुएमऊ गेस्ट हाउस में रोज कार्यकर्ताओं के साथ एक-एक बूथ पर मंथन और अगले दिन के कार्यक्रम पर चर्चा में प्रियंका की व्यस्तता बताती है कि क्यों उन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ा। गांधी परिवार की राजनीतिक वंशबेल का पोषण करने वाली रायबरेली का महत्व कांग्रेस जानती है।

जब किसी सभा में वह कहती हैं कि मैं पापा के साथ यहां आई थी तो लोगों को उस कालखंड में ले जाना चाहती हैं, जब कांग्रेस और प्रधानमंत्री एक-दूसरे के पूरक थे। कांग्रेस काल में स्थापित आइटीआई स्पिनिंग मिल और रेल कोच फैक्ट्री की चर्चा तो करती हैं, साथ में यह भी जोड़ती हैं कि भाजपा और राज्य सरकारों ने इसकी उपेक्षा की।

प्रियंका को सुनने और देखने की ललक ऐसी है कि उनकी सभा में उनसे असहमति जताने वाले भी नजर आते हैं। जब वह मोदी पर निजीकरण का आरोप लगाती हैं तो भीड़ में मौजूद अवतार सिंह कहते हैं कि आइटीआई का निजीकरण तो आपकी सरकार में ही सुखराम ने किया। आज वह फैक्ट्री अंतिम सांस गिन रही है।

खैर पक्ष-विपक्ष के तर्क अपनी जगह हैं लेकिन बच्चे को दुलराना, क्या खाना बना है, किस क्लास में पढ़ रही हो? जैसे संवादों से देहरी की हिचक तोड़ रही प्रियंका रायबरेली को मथ रही हैं और भाजपा इसके तोड़ का मंथन ढूंढ़ रही है।

प्रियंका ने ली राहुल को जिताने की जिम्मेदारी