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इन दिनों अखबारों और न्यूज चैनल्स पर कई ऐसी घटनाएं पढ़ने और देखने को मिल रही हैं जिसमें लोग सायलेंट हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं. इसकी वजह से लोगों को पता भी नहीं चलता कि उन्हें हार्ट अटैक आया और मेडिकल सहायता मिलने से पहले ही उनकी अचानक मौत हो जा रही है. चिंता की बात यह भी है कि कुछ देर पहले तक वे अच्छे भले हाल में रहते हैं. यही नहीं, साइलेंट हार्ट अटैक आने से पहले मरीज को कई बार पता तक नहीं रहता कि उसके हार्ट में किसी तरह की समस्या है.
हार्ट अटैक से साइलेंट हार्ट अटैक किस तरह है अलग
साइलेंट हार्ट अटैक एक ऐसा हार्ट अटैक है जिसमें इसमें बिना किसी लक्षण के ही हार्ट अटैक आ जाता है. इस तरह जब तक इसे हार्ट अटैक के रूप में पहचाना जाता है, तबतक मरीज की जान चली जाती है. साइलेंट हार्ट अटैक से सीने में दर्द या सांस की तकलीफ जैसे लक्षण भी नहीं दिखते हैं, जो आमतौर पर दिल के दौरे का सबसे बड़ा लक्षण माना जाता है.
मरीज कैसा करता है महसूस
जिन लोगों को साइलेंट हार्ट अटैक होता है, उन्हें ऐसा लगता है कि उन्हें सीने में जलन, फ्लू या छाती की मांसपेशियों में खिंचाव हुआ है. लेकिन किसी भी दिल के दौरे की तरह साइलेंट हार्ट अटैक में हार्ट में खून के प्रवाह में रुकावट और मांसपेशियों में कुछ समस्या होने की वजह से हार्ट अटैक होता है.
किन लोगों को होता है अधिक खतरा
जो लोग मधुमेह से पीडि़त हैं,
जिन लोगों का वजन काफी अधिक है,
परिवार में किसी को हार्ट की बीमारी रही है,
अगर उच्च रक्तचाप की परेशानी है,
उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या है,
व्यायाम आदि दिनचर्या में नहीं है,
अगर पहले दिल का दौरा पड़ चुका है,
अगर काई तंबाकू, सिगरेट का सेवन करता है.
क्या है बचाव का तरीका
साइलेंट हार्ट अटैक किसी को होगा या नहीं, इसे पता लगाने वाला कोई भी टेस्ट नहीं है. लेकिन अगर आपको हार्ट से जुड़ी समस्या है या आपका लाइफस्टाइल हेल्दी नही है, या आप रिस्क महसूस करते हैं तो डॉक्टर स संपर्क करें और टेस्ट कराएं. इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम या इकोकार्डियोग्राम जैसे इमेजिंग परीक्षण, साइलेंट हार्ट अटैक की पहचान करने का एकमात्र तरीका है.