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Vote / Poll

BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?

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अब जनता कांग्रेस-भाजपा से परेशान हो चुकी है
30%
'आप' की वजह से कांग्रेस और भाजपा में चिंता है
10%
केजरीवाल राजस्थान में कामयाब नहीं हो पाएंगे
90%
राजस्थान में भी 'आप' की सरकार बननी चाहिए
70%
Total count : 138

Vote / Poll

डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?

अजय सिंह किलक
56%
शिव देशवाल
26%
अन्य
18%
Total count : 7524

Vote / Poll

कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?

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सिद्देरमैया
67%
डीके शिवकुमार
13%
मल्लिकार्जुन खड़गे
13%
बता नहीं सकते
7%
Total count : 15

Vote / Poll

फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?

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समुदाय विशेष को टारगेट करना
33%
राजनीतिक लाभ लेने के लिए
11%
फिल्मों को हिट करने के लिए
44%
कुछ बता नहीं सकते
11%
Total count : 9

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राजस्‍थान में निजी अस्‍पतालों की इमरजेंसी का खर्च उठाएगी गहलोत सरकार, अलग से फंड पर विचार

The Fact India: राजस्थान में निजी अस्‍पतालों की इमरजेंसी में इलाज कराना गरीबों के लिए भी आसान हो जाएगा। गहलोत सरकार प्राइवेट हॉस्पिटल की इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी। इसके लिए अलग से फंड बनाने पर विचार चल रहा है।

प्रदेश के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा है कि राइट टू हेल्थ बिल के जिस प्रावधान को लेकर डॉक्टर और निजी अस्‍पताल के संचालक विरोध कर रहे हैं। उसका भी समाधान निकाल दिया है। इमरजेंसी में अगर कोई मरीज आता है तो उसके इलाज का खर्च भी सरकार उठा लेगी। इसके लिए हम अलग से फंड देंगे। मंत्री परसादी लाल मीणा ने फंड बनाने का जिक्र किया, लेकिन उस फंड में कितना पैसा होगा, इसका अभी कोई जिक्र नहीं किया है। संभावना है कि बजट सत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस पर बजट की अलग से घोषणा कर सकते हैं।

दरअसल, राइट टू हेल्थ बिल का निजी अस्‍पतालों के संचालकों ने जबरदस्‍त विरोध किया है। उनका सबसे बड़ा विरोध इलाज के खर्च को लेकर ही था। प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों का कहना है कि इमरजेंसी में आने वाले दुर्घटना के केस में मरीज का इलाज करने का प्रावधान तो बिल में है, लेकिन इस इलाज पर होने वाले खर्च को कौन उठाएगा। यह तय नहीं है।

राइट टू हेल्‍थ बिल में ये भी प्रावधान है कि दुर्घटना के अलावा अस्‍पताल की इमरजेंसी में अन्‍य मरीज भी इलाज के लिए आते हैं। उन्‍हें भी पैसे के अभाव में डॉक्टर या हॉस्पिटल इलाज देने से मना नहीं कर सकता। उन पर रुपए देने का दबाव नहीं डाल सकते। भुगतान नहीं होने की स्थिति में शव नहीं रोक सकते। बिल के इसी प्रावधानों को लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक विरोध कर रहे थे। उनका कहना है कि राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी प्राइवेट हॉस्पिटल पर डालना चाहती है। 50 फीसदी से ज्यादा मरीज प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज के लिए आते हैं।

इस बिल का विरोध कर रहे डॉक्टरों के सुझाव को सुनने के लिए विधानसभा की प्रवर समिति 11 फरवरी को एक बैठक करेगी। बैठक में डॉक्टरों के सुझाव सुनने के बाद उन पर कमेटी चर्चा करके उनके सुझावों को बिल में शामिल करने पर विचार करेगी। उसके बाद बिल को पास करने की कार्रवाई की जाएगी। प्रवर समिति इस पर अपनी रिपोर्ट 13 फरवरी को पेश कर सकती है।

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