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BANSWARA : राजस्थान के बांसवाड़ा स्थित मानगढ़ धाम पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आगामी दौरा न केवल एक श्रद्धांजलि का प्रतीक है, बल्कि इसके सियासी मायने भी हैं। यह ऐतिहासिक स्थल, जो जनजातीय संघर्ष और बलिदान का प्रतीक माना जाता है, अब राजनीतिक चर्चाओं के केंद्र में आ गया है। राष्ट्रपति मुर्मू मानगढ़ धाम में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगी और 'आदि गौरव सम्मान समारोह' में भाग लेंगी, जहाँ जनजातीय समुदाय के योगदानकर्ताओं को सम्मानित किया जाएगा।
आदिवासी समुदाय का गौरव सम्मान और सियासत का कनेक्शन
दोपहर 1 बजे राष्ट्रपति मुर्मू मानगढ़ धाम पर पहुंचेंगी, जहां वह गोविंद गुरु की धूणी पर नारियल होम करते हुए कल्पवृक्ष का पौधा लगाकर इस पवित्र स्थल को नमन करेंगी। इसके साथ ही आठ व्यक्तियों को आदिवासी गौरव सम्मान और विभिन्न पंचायतों को ग्रामोत्थान गौरव सम्मान दिया जाएगा। लेकिन, इस पूरे आयोजन को विशुद्ध रूप से सम्मान समारोह के रूप में नहीं देखा जा रहा। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह समारोह उपचुनावों को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया जा रहा है।
राजनीतिक सरगर्मियों की दस्तक
बांसवाड़ा और आसपास के क्षेत्रों में आदिवासी वोटों का बड़ा महत्व है, और यह आयोजन भाजपा और राज्य सरकार के लिए आदिवासी वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करने का एक प्रयास माना जा रहा है। बांसवाड़ा से सांसद राजकुमार रोत भी इस सियासी गणित से चिंतित हो सकते हैं। माना जा रहा है कि इस दौरे का उद्देश्य सरकार के विकास कार्यों को दिखाकर आदिवासी मतदाताओं को प्रभावित करना है, जो आगामी उपचुनावों के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
भाजपा और सरकार पर सवाल
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा और राज्य सरकार जनजातीय समुदाय के वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटका रही है। उनका मानना है कि मानगढ़ धाम का यह दौरा जनजातीय समाज के बलिदान को चुनावी प्रचार में बदलने की एक कोशिश है। ऐसे में, इस दौरे को महज एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि एक सियासी चाल के रूप में देखा जा रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि राष्ट्रपति मुर्मू का यह दौरा चुनावी समीकरणों में क्या बदलाव लाता है, और कौन सा दल आदिवासी समाज का विश्वास जीतने में सफल हो पाता है।