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अगर पुराणों, शास्त्रों और मान्यताओं की बात मानी जाए तो देश में 8 दिव्य पुरुष ऐसे हैं जो सैकड़ों-हजारों सालों से जीवित माने जाते हैं. इसमें भगवान के रूप हैं तो कोई ऋषि-मुनी तो कोई राजा. आखिर क्यों इन्हें चिरंजीवी माना जाता है. क्या है इसके पीछे की बातें.
1- हनुमान जी को माता सीता ने दिया था अजर-अमर होने का वरदान. माना जाता है कि हनुमान जी ऐसे देवता हैं जो आज भी जीवित हैं और इस धरती पर विद्यमान हैं. हनुमान को भगवान राम का परम सेवक माना जाता है. राम की लंका में रावण के खिलाफ जीत में उनकी बहुत बड़ी भूमिका थी.
2- ऋषि मार्कंडेय. वह अल्पायु थे. उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की. इसके बाद उन्होंने तप करके शिवजी को प्रसन्न किया. शिवजी के वर से वह चिरंजीवी हो गए.
3- भगवान विष्णु के दशावतारों में छठा अवतार परशुराम का माना जाता है. क्रोधी स्वाभाव के परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका थीं. परशुराम का उल्लेख रामायण और महाभारत दोनों में होता है, क्योंकि माना जाता है कि वह दोनों युगों में थे और अब भी धरती पर मौजूद थे.
4- वेद व्यास चारों वेद ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद का संपादन किया था. इनका पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन है. इन्होंने 18 पुराणों की भी रचना की है. वेद व्यास, ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र थे.
5- महाभारत युग के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र का नाम अश्वथामा को आज भी जिंदा माना जाता है. उन्हें जहां भगवान शिव ने अमर रहने का वरदान दिया तो भगवान कृष्ण ने शाप दिया कि वह मस्तक के घाव के साथ तब तक पृथ्वी पर भटकते रहेंगे जब तक कि यहां पर जीवन है. द्वापर युग में हुए युद्ध में अश्वत्थामा ने कौरवों की ओर से युद्ध किया था. अश्वत्थामा पांडवों से इसलिए क्रुद्ध हो गए क्योंकि उन्होंने छल से उनके पिता गुरु द्रोण को मार दिया था. इसके जवाब अश्वत्थामा ने पांडवों के बच्चों को मार दिया.
6- राजा बलि भक्त प्रहलाद के वंशज हैं. भगवान विष्णु के अवतार वामनदेव ने अपना सबकुछ दान कर किया था. वह दैत्य राजा थे. इनकी दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इनके द्वारपाल बन गए थे. केरल में राजा महाबली को बहुत आदर्श और सबसे संपन्न शासक माना जाता था, जिन्होंने अपने राज्य को स्वर्गिक बना दिया था.
7- रावण के छोटे भाई विभीषण को भी चिरंजीवी माना गया है. विभीषण ने धर्म-अधर्म के युद्ध में धर्म का साथ दिया. विभीषण ने रावण को बहुत समझाया भी था कि वह श्रीराम से लड़ाई नहीं करें बल्कि सीता को ससम्मान वापस पहुंचा दें लेकिन रावण नहीं माना. बाद में रावण के वध के बाद श्रीराम ने विभीषण को ही लंका सौंपी. विभीषण को धर्म पारायण माना जाता रहा है.
8- महाभारत में कौरव और पांडवों के गुरु कृपाचार्य थे. वह परम तपस्वी ऋषि थे. अपने तप के बल पर वह अजर अमर हो गए.