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Vote / Poll

BJP और Congress के बीच क्या Rajasthan में Aam Aadmi Party अपनी जगह बना पाएगी ?

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अब जनता कांग्रेस-भाजपा से परेशान हो चुकी है
30%
'आप' की वजह से कांग्रेस और भाजपा में चिंता है
10%
केजरीवाल राजस्थान में कामयाब नहीं हो पाएंगे
90%
राजस्थान में भी 'आप' की सरकार बननी चाहिए
70%
Total count : 138

Vote / Poll

डेगाना विधानसभा क्षेत्र से आप किसको भाजपा का जिताऊँ प्रत्याशी मानते है ?

अजय सिंह किलक
56%
शिव देशवाल
26%
अन्य
18%
Total count : 7524

Vote / Poll

कर्नाटक का मुख्यमंत्री किसे बनाया जा सकता है?

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सिद्देरमैया
67%
डीके शिवकुमार
13%
मल्लिकार्जुन खड़गे
13%
बता नहीं सकते
7%
Total count : 15

Vote / Poll

फिल्मों के विवादित होने के क्या कारण हैं?

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समुदाय विशेष को टारगेट करना
33%
राजनीतिक लाभ लेने के लिए
11%
फिल्मों को हिट करने के लिए
44%
कुछ बता नहीं सकते
11%
Total count : 9

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जब दिलीप कुमार को नहीं मिलते थे मनचाहे रोल, ऐसा हो जाता था हाल

जब दिलीप कुमार को नहीं मिलते थे मनचाहे रोल, ऐसा हो जाता था हाल
Neha Joshi
December 11, 2023

11 दिसंबर यानी आज, सुपरस्टार दिलीप कुमार की 101वीं जयंती है। अपने लंबे करियर में अभिनेता ने कई हिट फिल्में दीं। उन्होंने हमेशा उन फिल्मों को तरजीह दी जो उनकी अभिनय की कला के साथ न्याय कर सकें, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता कि जो आप चाहें वो ही मिले और ठीक ऐसा ही दिलीप साहब के साथ भी होता था। उन्हें हमेशा मनचाहा और पसंदीदा काम नहीं मिलता था और जब ऐसा होता तो उनका हाल बेहाल हो जाता था। इसी को लेकर उन्होंने एक पुराने इंटरव्यू में खुलासा किया था कि जब उन्हें मनचाहे रोल नहीं मिलते तो उन्हें निराशा होती है।

इस वजह से होती थी निराशा

साल 1995 में साउथ एशिया मॉनिटर के साथ बात करते हुए जब दिलीप से पूछा गया कि क्या 'सिनेमाई उपलब्धि' में उनके लिए हासिल करने के लिए कुछ बचा है, तो उन्होंने जवाब दिया, 'मैं इसे बिल्कुल इस तरह से नहीं रखूंगा लेकिन साहित्यिक दृष्टिकोण से बेहतर प्रस्ताव के लिए हफ्तों और महीनों तक इंतजार करने में मुझे कभी-कभी निराशा होती थी। इन दिनों लोग मेरे पास तैयार ऑडियो कैसेट लेकर आते हैं, बजाय अच्छी स्क्रिप्ट के और उसका उम्मीद करते हैं कि मैं उसकी नकल उतारूं।'

इस दिशा में करना चाहते थे बेहतर काम

इसी कड़ी में दिलीप कुमार से पूछा गया कि 'हासिल' करने के लिए क्या कुछ और बचा है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'नहीं, मैंने अभी शुरुआत भी नहीं की है। बहुत कुछ करना था, लेकिन हमें एक ढांचे के तहत काम करना होता है। बेहतर प्रदर्शन करने के लिए आपको बेहतर फिल्म, थीम और कैरेक्टर की जरूरत है। हमने सब कुछ विकसित किया है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इतने बड़े देश के लिए हमारे पास अच्छा आधुनिक साहित्य नहीं है। हमने अपनी संस्कृति को नजरअंदाज और उपेक्षित कर दिया है। सिनेमा यह सब दर्शाता है। काश मुझे भी कुछ मिल पाता...एक बेहतर पात्र... बेहतर समीकरणों को चित्रित करने के लिए। यदि आप क्लासिक्स पर आधारित पहले की तस्वीरों को खारिज कर देते हैं तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि दिलीप कुमार की ओर से भी इरादा हाथ में मौजूद काम से सर्वश्रेष्ठ बनाने का था। हमारे पास जो कुछ भी रहा उसमें सुधार करने का प्रयास किया गया है।'

दिलीप कुमार की यादगार फिल्में

दिलीप ने बॉम्बे टॉकीज द्वारा निर्मित फिल्म 'ज्वार भाटा' (1944) से एक अभिनेता के रूप में शुरुआत की। 'जुगनू' (1947) में उनकी पहली बॉक्स ऑफिस हिट थी। इसके बाद अभिनेता ने 'अंदाज' (1949), 'आन' (1952), 'दाग' (1952), 'इंसानियत' (1955), 'आजाद' (1955), 'नया दौर' (1957), 'मधुमती' (1958), 'पैगाम' (1959) 'कोहिनूर' (1960), 'मुगल-ए-आजम' (1960), 'गंगा जमना' (1961), 'राम और श्याम' (1967) जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया। उन्होंने 'दास्तान' (1972), 'सगीना' (1974), 'बैराग' (1976), 'क्रांति' (1981), 'विधाता' (1982), 'शक्ति' (1982), 'कर्मा' (1986), 'सौदागर' (1991) में शानदार काम किया। उनकी आखिरी ऑन-स्क्रीन उपस्थिति 'किला' (1998) थी, जो बॉक्स ऑफिस पर खासा कमाल नहीं कर सकी। इस फिल्म में वो डबल रोल में नजर आए थे।  

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