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सीएम गहलोत के न्यायपालिका पर दिए बयान से वकीलों में भड़का गुस्सा, नारेबाजी कर पुतला जलाया; हाईकोर्ट में जनहित याचिका, अगले हफ्ते सुनवाई
The Fact India: राजस्थान में विधानसभा चुनाव को दो महीने ही रह गए हैं। ऐसे में भाजपा-कांग्रेस और इनके नेता फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं ताकि कोई वर्ग नाराज न हो जाए। ऐसे माहौल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ज्यूडिशियरी को लेकर दिए गए बयान से बवाल मच गया है। वकीलों में गुस्सा है। वकीलों ने हाईकोर्ट परिसर में बयान के विरोध में गहलोत का पुतला भी जलाया। सीएम गहलोत के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हो गई है। इस पर अगले हफ्ते सुनवाई की संभावना है। बार काउंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर गहलोत के खिलाफ प्रसंज्ञान लेने का आग्रह किया है।
बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा था कि ज्यूडिशियरी में भयंकर भ्रष्टाचार हो रहा है। मैंने सुना है कि कई वकील तो जजमेंट लिखकर ले जाते हैं। वही जजमेंट आता है। ज्यूडिशियरी के अंदर यह क्या हो रहा है? चाहे लोअर ज्यूडिशियरी हो या अपर। हालात गंभीर हैं। देशवासियों को सोचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पर जो आरोप लगाए हैं। वो सही हैं। मुझे मालूम पड़ा है कि उनके (अर्जुन राम मेघवाल) समय बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ था। उसे दबा दिया गया है। इन लोगों ने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है।
सीएम गहलोत के इस बयान के विरोध में गुरुवार को बयान के विरोध में वकील हाईकोर्ट के गांधी प्रतिमा के पास एकत्रित हुए। यहां उन्होंने सीएम गहलोत के खिलाफ नारेबाजी की और उनका पुतला जलाया। वकीलों की मांग है कि गहलोत तुरंत अपने बयान के लिए माफी मांगे। अचानक हुए इस घटनाक्रम के बाद हाईकोर्ट में सुरक्षा इंचार्ज सुमेर सिंह ने मौके पर पुलिस जाब्ता तैनात कर दिया।
हाईकोर्ट में पीआईएल दायर करने वाले वकील शिवचरण गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह बयान न्यायपालिका को शर्मसार करने वाला हैं। गहलोत का बयान अवमानना की परिभाषा में आता है, इसलिए हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत प्रसंज्ञान लेकर अवमानना कर्ता को दंडित करें। अदालत से मामले की जल्द सुनवाई का भी आग्रह किया।