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जी-20 समिट में हिस्सा लेने के लिए चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग आ सकते हैं भारत, नई दिल्ली में होटल बुक; सात सितंबर को आएंगे अमेरिकी राष्ट्रपति
The Fact India: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जी-20 समिट में हिस्सा लेने के लिए भारत आ सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिनपिंग और उनके डेलिगेशन के लिए दिल्ली में होटल ताज पैलेस बुक किया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन समिट के लिए 7 सितंबर को ही भारत आ जाएंगे। उनके लिए होटल आईटीसी मौर्या बुक किया गया है। दिल्ली में हो रहे जी-20 समिट में 25 से ज्यादा ग्लोबल लीडर्स शामिल होंगे। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत नहीं आ रहे हैं।
9-10 सितंबर को देश की राजधानी दिल्ली में जी-20 समिट होगी। 2008 में जी-20 की समिट लेवल मीटिंग शुरू होने के बाद से ये पहला मौका है, जब भारत को इसकी अध्यक्षता करने का मौका मिला है। इसे देखते हुए दिल्ली में स्कूलों की छुट्टी कर दी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस शिखर सम्मेलन में फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों, जापान के पीएम फुमियो किशिदा, सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान समेत 25 से ज्यादा बड़े नेता शामिल होंगे।
इससे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत नहीं आने की घोषणा की थी। सोमवार (28 अगस्त) को पीएम मोदी के साथ फोन पर बातचीत के दौरान रूसी राष्ट्रपति ने बताया कि सम्मेलन में उनकी जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव हिस्सा लेंगे। जी-20 के सदस्य देशों के अलावा, इस समिट के लिए भारत ने कई दूसरे देश जैसे बांग्लादेश, यूएई, सिंगापुर और ओमान को भी न्योता दिया है। कनाडा के राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को समिट के लिए भारत आने की घोषणा की।
जी-20 समिट में भाग लेने के लिए आ रहे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सुनक और जर्मन चांसलर ओलफ शोल्ज के लिए होटल शांगरी-ला बुक किया गया है। इसके अलावा भी कई बड़े होटलों को अलग-अलग देशों के लीडर्स और प्रतिनिधियों के लिए बुक किया जा चुका है। राष्ट्रपति बनने के बाद ये पहला मौका है, जब बाइडेन भारत दौरे पर आ रहे हैं। ऐसे में ये यात्रा दोनों देशों के रिश्तों के लिए अहम हो सकती है।
अगर जिनपिंग भारत आते हैं, तो उनका ये दौरा ऐसे समय में होगा जब हाल ही में ब्रिक्स समिट के दौरान शी-मोदी की बातचीत हुई थी। तब दोनों नेताओं के बीच तनाव कम करने और लद्दाख में सैनिकों की तैनाती घटाने पर सहमति बनी थी। हालांकि, इस कुछ दिन बाद ही सोमवार को चीन ने अपने स्टैंडर्ड मैप में अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना क्षेत्र बताया।