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विदेशों में भेजे जाने से पहले भारतीय कफ सिरप की लैब टेस्टिंग जरूरी, नया नियम 1 जून से लागू; दवाइयों की क्वालिटी से कम्प्रोमाइज नहीं
The Fact India: विदेशों में भेजे जाने से पहले सभी कफ सिरप (खांसी की दवा) की जांच जरूरी हो गई है। लैब में परीक्षण के बाद मानक पर खरे उतरने के बाद ही कप सिरप को एक्सपोर्ट किया जाएगा। नया नियम एक जून से लागू होगा। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि बिना जांच और प्रमाण के कफ सिरप को विदेश नहीं भेजा जाएगा।
बता दें कि पिछले साल गाम्बिया में 66 और उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत हुई थी। दावा किया गया था कि ये मौतें भारत में बनी खांसी की दवाइयों को पीने के बाद हुई हैं। वहीं, फरवरी में तमिलनाडु स्थित ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने अपने सभी आई ड्रॉप्स वापस मंगवा लिए थे। वहीं डब्ल्यूएचओ ने 2022 में भारत के चार कफ सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया था। डीजीएफटी ने बताया है कि भारत से एक्सपोर्ट की जाने वाली दवाइयों की क्वालिटी से कम्प्रोमाइज नहीं किया जाएगा। राज्य सरकारें और दवाई बनाने वाली कंपनियां एक्सपोर्ट से पहले दवाई की टेस्टिंग को सुनिश्चित करें।
सरकार ने टेस्टिंग के लिए जिन लैब्स को चुना है, उनमें भारतीय फार्माकोपिया आयोग, रीजनल ड्रग टेस्टिंग लैब (आरडीटीएल-चंडीगढ़), केंद्रीय दवा प्रयोगशाला (सीडीएल-कोलकाता), केंद्रीय दवा टेस्टिंग लैब (सीडीटीएल-चेन्नई हैदराबाद, मुंबई), आरडीटीएल (गुवाहाटी) और एनएबीएल शामिल हैं। भारत ने 2022-23 में 1.4 लाख करोड़ के कफ सिरप को एक्सपोर्ट किया था, जबकि 2021-22 में भी यह लगभग इतना ही था।
भारत पूरी दुनिया में चिकित्सा उत्पादों का एक प्रमुख मैन्यूफैक्चरर और एक्सपोर्टर है। यही नहीं दुनिया भर में किसी भी इलाज के वैक्सीनेशन में भारत का आधे से ज्यादा सहयोग रहता है। दुनिया में जेनरिक दवाइयों की जितनी जरूरत होती है, उसका 50 परसेंट से अधिक भारत से भेजा जाता है। वहीं अमेरिका में लगभग 40 प्रतिशत जेनरिक दवाओं की और ब्रिटेन में लगभग 25 प्रतिशत दवाओं की आपूर्ति की जाती है। पूरी दुनिया में भारत फार्मास्युटिकल जनरेशन के मामले में तीसरे स्थान पर है।