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रूस का लूना-25 स्पेसक्राफ्ट चांद की सतह पर टकराकर क्रैश, प्री-लैंडिंग ऑर्बिट बदलने के दौरान हुई गड़बड़ी; 47 साल बाद मून मिशन लांच किया था
The Fact India: रूस की लूना-25 मून मिशन फेल हो गया है। रूस की स्पेस एजेंसी रॉस्कॉस्मॉस ने रविवार को बताया कि उनका संपर्क ‘लूना-25’ स्पेसक्राफ्ट से टूट गया है और स्पेसक्राफ्ट क्रैश हो गया है। स्पेस एंजेसी ने बताया कि शनिवार शाम 05:27 बजे उसका स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूटा था। शुरुआती जांच के आधार पर यह माना जा रहा है कि चंद्रमा की सतह से टकराने के बाद लूना-25 से संपर्क टूटा। प्री-लैंडिंग ऑर्बिट बदलने के दौरान इसमें गड़बड़ी हुई थी। लूना रूस को अपने इस मिशन से बहुत उम्मीदें थीं, जो क्रैश होते ही धराशायी हो गईं।
रूस ने 47 साल बाद अपना मून मिशन लूना-25 को 11 अगस्त को लांच किया था। इसकी लैंडिंग 21 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होनी थी। बताया जा रहा रूस के इस मिशन में कुल 1600 करोड़ रुपये की लागत आई थी। चांद की सतह पर अभी तक सिर्फ तीन ही ऐसे देश हैं जो सफल लैंडिंग कर पाए हैं। इसमें अमेरिका, रूस और चीन शामिल हैं। हालांकि, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक किसी ने भी लैंडिंग नहीं की है।
रॉस्कॉस्मॉस ने बताया कि लूना-25 के फ्लाइट प्रोग्राम के अनुसार प्री-लैंडिंग कक्षा (18 किमी x 100 किमी) में प्रवेश कराने के लिए कमांड दिया गया था। ये कमांड भारतीय समयानुसार शनिवार दोपहर 04:30 बजे दिया गया था। इस दौरान लूना पर इमरजेंसी कंडीशन बन गई क्योंकि स्पेसक्राफ्ट एक्चुअल पैरामीटर के अनुसार थ्रस्टर फायर नहीं कर पाया।
स्पेस एजेंसी ने कहा कि शुरुआती एनालिसिस के नतीजों से पता चलता है कि कैलकुलेशन से जो पैरामीटर सेट किए गए थे उन पैरामीटरों से स्पेसक्राफ्ट डेविएट हो गया। कैलकुलेटेड वैल्यू जितनी चाहिए थी ये उससे ज्यादा थी। इससे थ्रस्टर ज्यादा देर के लिए फायर हुए और स्पीड कम होने से स्पेसक्राफ्ट एक ऑफ-डिजाइन ऑर्बिट में चला गया और चांद पर क्रैश हो गया।
लूना-25 को 11 अगस्त को सोयूज 2.1बी रॉकेट के जरिए वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लांच किया गया था। लूना-25 को उसी दिन अर्थ की ऑर्बिट से चांद की तरफ भेज दिया गया था। स्पेसक्राफ्ट 16 अगस्त को दोपहर 2:27 बजे चांद की 100 किलोमीटर की ऑर्बिट में पहुंच गया था। स्पेशली फॉर्म्ड इंटरडिपार्टमेंटल कमीशन अब लूना-25 के क्रैश होने की जांच करेगा।
रूस ने 47 साल बाद चांद पर अपना मिशन भेजा था। इससे पहले उसने 1976 में लूना-24 मिशन भेजा था। लूना-24 चांद की करीब 170 ग्राम धूल लेकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस पहुंचा था। अभी तक जितने भी मून मिशन हुए हैं, वो चांद के इक्वेटर पर पहुंचे हैं, यह पहली बार था कि कोई मिशन चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला था।