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भारत-मालदीव तनाव के बीच चीन बोला, 'नई दिल्ली को अस्वीकार करने के लिए नहीं कहा'
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर मालदीव के तीन निलंबित मंत्रियों और कुछ नेताओं की ओर अपमानजनक टिप्पणियां किए जाने से जन्मे विवाद के बीच द्वीपीय देश के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू सोमवार (8 जनवरी) से चीन की पांच दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं.
विवाद के जोर पकड़ने और भारत की ओर से कड़ी आपत्ति जताए जाने के बाद रविवार (7 जनवरी) को मालदीव ने पीएम मोदी पर अनर्गल टिप्पणियां करने वाले तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया था.
इस बीच चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने एक संपादकीय में भारत के साथ मालदीव के संबंधों और चीन के रुख का जिक्र किया है. 'भारत को चीन-मालदीव सहयोग के प्रति ज्यादा खुले विचारों वाला रहना चाहिए' शीर्षक से लिखे गए संपादकीय में यह भी कहा गया है कि चीन ने मालदीव से भारत को अस्वीकार करने के लिए कभी नहीं कहा है और त्रिपक्षीय सहयोग का इच्छुक है.
भारत-मालदीव और चीन को लेकर क्या कुछ कहा गया है संपादकीय में?
संपादकीय में कहा गया है, ''चीन ने हमेशा मालदीव को एक समान साझेदार माना है और उसकी संप्रभुता का सम्मान किया है. यह मालदीव और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक संबंधों का भी सम्मान करता है, माले के लिए नई दिल्ली के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के महत्व से पूरी तरह वाकिफ है.''
इसमें लिखा गया है, ''बीजिंग ने कभी भी चीन और भारत के बीच विवादों के कारण माले से नई दिल्ली को अस्वीकार करने के लिए नहीं कहा है, न ही वह मालदीव और भारत के बीच सहयोग को अनफ्रेंडली या खतरे के रूप में देखता है. यह चीन, भारत और मालदीव के बीच त्रिपक्षीय सहयोग करने का भी इच्छुक है.''
चीन ने भारत को दी खुले विचारों वाला रहने की सलाह
संपादकीय में आखिर में भारत को खुले विचार वाला होने की सलाह दी गई है. इसमें लिखा गया है, ''नई दिल्ली को ज्यादा खुले विचारों वाला रहना चाहिए क्योंकि दक्षिण एशियाई देशों के साथ चीन का सहयोग 'शून्य-राशि का खेल' नहीं है.''
बता दें कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन के समर्थक माने जाते हैं. मालदीव की पिछली सरकार के दौरान भारत के साथ उसके संबंधों में काफी प्रगति हुई थी लेकिन मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद से भारत और मालदीव के बीच संबंध तनावपूर्ण माने जा रहे हैं.