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बंदौली निकालने की वजह से परिवार को किया बहिष्कृत, पंचों ने जारी किया तुगलकी फरमान
देश दुनिया में बेटियों को बेटों के बराबर हक देने की बातें कही जा रही है और बेटियां भी किसी भी मामले में बेटों से पीछे नहीं हैं। लेकिन बाड़मेर में अब भी कुछ रूढ़िवादी और संकीर्ण मानसिकता के लोगों को इस तरह का बदलाव आंखों में फूटे नहीं सुहा रहा है। इसी का ताजा उदाहरण सिवाना क्षेत्र का यह मामला है।
बाड़मेर जिले के सिवाना क्षेत्र के एक गांव में शादी में बहनों को घोड़ी पर चढ़ाकर बंदौली निकालने से नाराज पंचों ने परिवार का हुक्का पानी बंद करते हुए उनपर आर्थिक दंड नहीं भरने के बाद समाज से बहिष्कृत करने से आहत भाई और विधवा मां ने आत्मदाह की चेतावनी दी है।
सिवाना क्षेत्र के मेली निवासी शंकराराम पुत्र थानाराम अपने माँ-बाप का इकलौता बेटा है उसके पिता का देहांत कुछ साल पहले हो गया था। 4 बहनों की शादी पिता ने कर दी थी बाकी दो बहनों की शादी वो धूमधाम करना चाहता था, ताकि बहनों को पिता की कमी महसूस न हो। छह फरवरी 2023 को की थी शादी प्रोग्राम में बहनों की बिंदौली रिवाजों से अलग हटकर घोड़ी पर निकाली थी, क्योंकि उसका मानना था कि लड़का-लड़की बराबर हैं, आज बेटियां भी हर काम में बराबरी का अधिकार रखती हैं। इससे समाज में भी एक अच्छा संदेश जाएगा।लेकिन उसको नहीं पता था कि जो पॉजिटिव मैसेज वह समाज में देना चाह रहा है, वह उसके अपने ही समाज के पंच पटेलों को रास नहीं आएगा।
समाज के पंचों को लड़कियों घोड़ी पर बिठाना और बंदौली निकालकर लड़कियों की शादी करना नागवार गुजरा और शादी के करीब ढाई महीने बाद पंचों ने सिवाना में खाप पंचायत बुलाई। बहनों के भाई को भी बुलाया और परिवार को समाज से बहिष्कृत करने का तुगलकी फरमान सुना दिया। 50 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया। पूरे समाज को पाबंद किया कि कोई इसके परिवार से किसी प्रकार का कोई रिश्ता, आना-जाना और बोलचाल नहीं रखे। समाज से बहिष्कृत होने के बाद पीड़ित परिवार ने खाप पंचायत के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाया । लेकिन खाप पंचायत के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं होने के चलते पीड़ित ने अपनी विधवा मां के साथ आत्मदाह की चेतावनी दी है।